छत्तीसगढ़

महादेव’ पर ‘महाभारत’…एक साल में ही इस ऐप से 8 हजार 640 करोड़ रुपए की कमाई!

राजनीति के पिच पर जोरदार बेटिंग कर रहा महादेव ऐप

रायपुर। पत्रिका लुक

‘महादेव’ यानी भगवान शंकर जी! लेकिन इन दिनों एक दूसरे ही महादेव की चर्चा है और ये ‘महादेव’ भगवान भोलेनाथ नहीं, बल्कि एक बेटिंग ऐप है। जो छत्तीसगढ़ में ही फला-फूला और अब देश-विदेश में सुर्खियां बटोर रहा है। साथ ही अब राजनीति के पिच पर भी जोरदार बेटिंग कर रहा है। खबरों की मानें तो भिलाई निगम में पंप ऑपरेटर की नौकरी करने वाले के बेटे की वहीं जूस कार्नर थी। उसकी रवि उत्पल से दोस्ती थी। दोनों ने मिलकर महादेव ऐप नामक सट्टे का कारोबार शुरू किया। लेकिन बाद में शुभम सोनी नामक भिलाई के ही एक युवक की इसमें एंट्री हुई। चूंकि इन्हें महादेव ऐप से बेहिसाब पैसे मिल रहे थे, तीनों दुबई में शेटल्ड हो गए। सहयोग के लिए अपने कुछ पुराने मित्रों को भी वहीं बुला लिया। ऐप का कारोबार बढऩे पर छत्तीसगढ़ पुलिस की नजर इस पर पड़ी। इससे जुड़े कुछ गुर्गे पकड़े गए। दुबई में बैठे आकाओं को टेंशन हुआ। उन्होंने मामला सैट करने प्रदेश के राजनीतिक आकाओं से संपर्क किया। चूंकि मामला हजारों करोड़ की अफरा-तफरी का था। आरोप है कि बात हाउस में सेटल हुई।। इस दौरान छत्तीसगढ़ में भ्रष्टाचार के कुछ मामलों पर पहले से ही कार्रवाई कर रही ईडी की नजर महादेव ऐप के ट्रांजेक्शन पर पड़ी, उसने पुलिस की कार्रवाई का लेखा जेखा लिया और खुद ने भी मामले की जांच शुरू कर दी। ईडी को लगा कि मामले में जो लोग पकड़े जा रहे हैं, वो तो खानापूर्ति मात्र हैं। असली आरोपी तो दुबई में हैं, उसने पड़ताल बढ़ाई तो प्रदेश की राजनीति हिल गई। कई जगहों पर ईडी की रेड पड़ी। इसी कड़ी में मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के राजनीतिक सलाहकार विनोद वर्मा भी जांच के दायरे में आए। बाद में ईडी की गिरफ्त में आए एक आरोपी ने मुख्यमंत्री को 508 करोड़ देने का दावा कर दिया। ईडी ने इसकी जानकारी सार्वजनिक कर दी। इसके बाद राजनीति में तूफान आ गया। पहले से ही ईडी की कार्रवाई को गलत साबित करने में लगे मुख्यमंत्री केंद्र की भाजपा सरकार पर हमलावार हो गए। तो भाजपा के नेता ईडी की कार्रवाइयों का पक्ष लेकर प्रदेश की कांग्रेस सरकार को घेरने में जुट गए। बहरहाल जनता सब समझती है। वह यह भी जानती है कि बिना आग के धुंआ नहीं निकलता। कोयला, शराब जैसे बड़े घोटाले प्रदेश में ईडी ने न केवल पकड़े हैं बल्कि प्रदेश की कांग्रेस सरकार से जुड़े लोगों और नौकरशाहों को गिरफ्तार भी किया है। इसी कड़ी में महादेव ऐप भंडाफोड़ हो गया। लोग इस बात को भी समझ रहे हैं कि मुख्यमंत्री ईडी की हर कार्रवाई को गलत साबित करने पर क्यों तुले हुए हैं? लोग यह भी सवाल उठा रहे हैं कि सत्ता में आते ही कांग्रेस सरकार ने प्रदेश में सीबीआई के प्रवेश पर प्रतिबंध क्यों लगाया? बहरहाल उम्मीद की जा रही है प्रदेश के सभी भ्रष्टाचार और पैसों के हेरफेर के मामलों की जांच बिना भेदभाव के होगी और न्यायालय से जनता को न्याय मिलेगा। क्योंकि ये सारे पैसे प्रदेश की जनता के हक के हैं।

अब बात पुन: महादेव ऐप की कमाई की

ऑनलाइन सट्टा खिलाने वाला महादेव ऐप को लेकर दावा है कि यह ऐप एक ब्रांच से हर हफ्ते 30 लाख रुपए मुनाफा कमाता है। यानी महीने में एक ब्रांच से 12,000,000 रुपए का चोखा फायदा। ऐसा दावा है कि कुल 600 ब्रांच यानी एक महीने में कुल  7,200,000,000 (720 करोड़ रुपए) का मुनाफा। यानी एक साल में  86,400,000,000 (8 हजार 640 करोड़ रुपए) का मुनाफा होने का एक अनुमानित दावा इस ऐप को लेकर किया जा रहा है। 

यह पैसा इतना होता है कि छत्तीसगढ़ जैसे छोटे राज्य की तीन करोड़ की कुल आबादी को भी बांटना शुरू किया जाए तो सिर्फ एक साल का मुनाफे में से दावा है कि प्रति व्यक्ति 2880 रुपए बंट जाए। रकम बड़ी है और खेल बड़ा है, साथ ही इसके आरोपी भी बड़े नाम हैं। सालाना  8 हजार 640 करोड़ रुपए की काली कमाई और इसकी भनक किसी को न हो, भला ऐसा कैसे हो सकता है?

महादेव एप के असली मालिक कौन है? फिलहाल तो यह जांच का विषय है, लेकिन कुछ दिन पहले शुभम सोनी नामक एक युवक का वीडियो खूब वायरल हुआ। वीडियो में शुभम सोनी ने दावे किए है कि वही महादेव ऐप का असली मालिक है। उसने अपना पेन कार्ड, आधार कार्ड और पासपोर्ट दिखाकर दावा किया कि साल 2021 में महादेव बेटिंग ऐप शुरू किया था। सोनी ने कहा कि, ”भिलाई में मैंने छोटी-सी बुक शुरू की थी। उस बुक से पैसा आने लगा, लाइफ स्टाइल बदल गई। मामला आगे पता चलने लगा, लड़के पकड़े जाने लगे। फिर मैं वर्मा जी के सम्पर्क में आया और मैंने उन्हें 10 लाख रुपये महीना बतौर प्रोटेक्शन मनी देना शुरू कर दिया। 

उसने कहा कि, ”मेरे लड़के पकड़े गए तो मैंने वर्मा जी को बोला। वर्मा जी ने फिर मेरी मीटिंग सीएम साहब से करवाई। वहां बिट्टू जी और सीएम साहब ने बोला कि अपना काम बढ़ाओ और दुबई जाओ। वहां मेरा काम अच्छा चल रहा था, लेकिन फिर प्रॉब्लम हुई, मेरे लड़के पकड़े गए। मैं रायपुर आया और मैं फिर वर्मा जी और गिरीश तिवारी के जरिए उस वक्त एसपी प्रशांत अग्रवाल से मिला। 

शुभम ने कहा कि, ”प्रशांत अग्रवाल ने मेरी बात अपने फोन से स्पीकर पर सीएम बघेल से करवाई। उन्होंने बोला तुझे वहां काम संभालने भेजा था तो मालिक बन गया। मैंने रिक्वेस्ट की तो बोले प्रशांत से बात करो समझा देगा तुम्हें क्या करना है। फिर प्रशांत जी ने जो बोला, जिस-जिस को देने को बोला, मैंने दिया। बिट्टू भैया के जरिए 508 करोड़ रुपये भी दे चुका हूं, फिर भी मुझे दिक्कत कर रहे हैं। 

शुभम सोनी ने कहा कि, ”मैंने अपने लिखित बयान में साफ बताया है कि कितना पैसा किस-किस को कब और किस तरह दिया गया। मेरी सरकार से गुजारिश है कि मैं इस पॉलिटिकल सिस्टम में फंस चुका हूं। मैं इंडिया आना चाहता हूं, मेरी मदद करें।

Patrika Look

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