छत्तीसगढ़

बड़ेडोंगर में भगवान गणेश की अनेक प्राचीन मूर्तिया स्थापित हैं …

कोण्डागांव। पत्रिका लुक
छत्तीसगढ प्रदेश के कोण्डागांव जिले के फरसगांव ब्लॉक मुख्यालय से महज 18 किमी दूर ग्राम बड़ेडोंगर जो रियासत काल से बस्तर की राजधानी हुआ करता था और आज देव नगरी के नाम से प्रसिद्ध है बडे़डोंगर में मां दंतेश्वरी पहाड़ो में विराजमान है और अनेक स्थानों पर देवी देवताओं का स्थान है, क्षेत्रवासियों के मान्यताओं के अनुसार यह देवलोक भी माना गया है । बड़ेडोंगर चारों ओर पहाड़ियों व घने जंगलों के बीच बसा है बड़ेडोंगर के प्रत्येक पहाड़ पर देवी-देवताओं का वास है । बड़ेडोंगर के चारो दिशाओं में भगवान गणेश की अनेक प्राचीन कालीन मूर्ति स्थापित है जो आज भी खुले में रखी हुईं है और उनकी पूजा अर्चना विधि विधान से की जाती है
बड़ेडोंगर के पहाड़ो में मां दंतेश्वरी विराजमान है और उनकी रक्षा करने के लिए सीढ़ियों में स्वयं गणेश विराजमान है वही हवन स्थल और मंदिर परिसर पर भी वर्षो पुरानी आदिअनादि काल से गणेश की प्रतिमा रूप में विराजे है मां दंतेश्वरी की पूजा अर्चना के साथ साथ समस्त देवी देवताओं और गणेश जी की भी पूजा अर्चना प्रतिदिन की जाती है बड़ेडोंगर गांव के चारो दिशाओं में अलग अलग नाम से गणेश भगवान की मूर्तियां विराजित है और सभी मूर्तियों में भिन्नताएं है ।
          उत्तर दिशा की ओर
सर्व प्रथम हम आपको लेकर चलते है बड़ेडोंगर के उत्तर दिशा की ओर इस स्थान पर प्राकृतिक एक कुंड था और उसी के समीप उपजन गणेश  विरजमान है जो एक पत्थर पर गणेश की उभरी हुई अदभुद मूर्ति दिखाई देती है जिसे सभी भक्त उपजन गणेश के रूप में गणेश चतुर्थी के अवसर पर उपवास रहने वाले भक्त पूजा अर्चना करने पहुंचते है,
बड़ेडोंगर के दक्षिण दिशा
गौरीबेड़ा के जंगलों में गणेश जी की मूर्ती है इस स्थल पर 2001 से पुजारी रूपसिंग कुदराम के द्वारा प्रतिदिन निःस्वार्थ भाव से पुजा अर्चना की जाती है पुजारी ने बताया की गौरीबेड़ा के वर्षो पहले जंगलो की कटाई के दौरान गणेश की मूर्ती स्थापित है उसी स्थान पर पत्थर में दिमक चढ़ा हुआ और वन विभाग की पेड़ कटाई के दौरान उस दीमक के ऊपर पेड़ गिरा और वहा से खून जैसा निकलने लगा वन विभाग के कर्मचारी द्वारा उस स्थल को साफ किया गया तो वहा गणेश जी की प्रतिमा दिखाई दी उसी दिन से वह प्रति सोमवार को पूजा अर्चना शुरु की और आने जाने के लिए पगडंडी रास्ता से  यहां पर पहुंचा जा सकता है और आज भी प्रति दिन पुजारी द्वारा पूजा की जाती है उसी स्थल से कुछ दूरी पर गणेश तालाब है उक्त स्थान पर  गणेश तालाब में स्थित शिव पार्वती और गणेश की मूर्ति खुले में स्थापित है, गणेश तालाब में स्नान करता है वह वहां पूजा अर्चना करता है और गणेश चतुर्थी के अवसर पर के साथ साथ सोमवार मंगलवार और शनिवार को भक्त पूजा अर्चना करते है
बड़ेडोंगर पुर्व दिशा
बड़ेडोंगर के पूर्व दिशा में स्थित ताल गुड़रा पहाड़ में विशालकाय गणेश की मूर्ति स्थापित है जिसे भक्त गणेशा जी के नाम से पूजा अर्चना की जाती है यहाँ गणेश चतुर्थी और नवरात्रि के साथ साथ हिन्दू पर्व पर पूजा अर्चना की जाती है।
बडेडोंगर पश्चिम दिशा
बडेडोंगर पश्चिम दिशा में फूल तालाब के किनारे गणेश जी की प्रतिमा विराजमान है इस स्थान पर गणेश चतुर्थी को विशेष पूजा की जाती है पर मोहल्ले वासी यहां समय समय पर पूजा अर्चना करते रहते हैं । माँ दंतेश्वरी मंदिर प्रांगण में बालाजी मदिर परिसर के मुख्य द्वार पर गणेश जी की मूर्ति स्थापित है प्रतिदिन पुजा अर्चना की जाती है वही कुछ ही दुरी पर माई भंगाराम दरबार के समीप गणेश जी की मूर्ति स्थापित है इस स्थान पर भक्तो के द्वारा प्रतिदिन पूजा अर्चना की जाती है, आपको बता दे की बड़ेडोंगर क्षेत्र देवी देवताओं का स्थल है यहाँ गणेश जी की मुर्तिया खुले में रखी हुई है साथ साथ क्षेत्र में असंख्य देव स्थल है जिसके विषय में स्थानीय जन को छोड़कर बाकी जनता आज भी देव स्थलीयों से अनभिज्ञ है।

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