केशकाल विधानसभा का विकास विहीन मातेंगा, पक्की सड़क, साफ पानी को मोहताज मातेंगा के ग्रामीण
कांग्रेस सरकार में भी मूलभूत व विकास से कोसों दूर
यहां के ग्रामीण, इजाल के लिए भी कांकेर से पर निर्भर
कोंडागांव। पत्रिका की दुनिया
पूरा देश आजादी का अमृत महोत्सव मनाते हुए गौरवान्वित महसूस कर रहें है, लेकिन वहीं देश के छत्तीसगढ़ राज्य के कुछ गांव के ग्रामीणजन आजादी के 75 वर्श बाद भी मूलभूत सुविधाओं से वंचित होते नजर आ रहे हैं। ऐसी ही एक तस्वीर छ.ग.राज्य के आदिवासी बाहुल्य बस्तर संभाग के कोण्डागांव जिले के केशकाल विधान सभा क्षेत्रांतर्गत आने वाले ग्राम मातेंगा में देखने को मिला है। आपको बतादें कि केशकाल विधान सभा क्षेत्र के ग्राम पंचायत उमरादाह का आश्रित ग्राम मातेंगा का है। तहसील मुख्यालय केशकाल से लगभग 40 किलोमीटर दूर पहाड़ियों के बीच बसा हुआ है ग्राम मातेंगा। इस ग्राम तक पहुंचने के लिए पहाड़ी के रास्ते होते हुए आना पड़ता है।
मूलभूत सुविधाएं नहीं
गांव के निवासियों के मुताबिक गांव में पहुंच मार्ग, पुल-पुलिया स्वास्थ्य, राशन वितरण सुविधाओं का अभाव बना हुआ है। ग्रामवासियों ने इसके लिए सरपंच से लेकर विधायक तक को कई बार अवगत कराया, लेकिन समस्या जस की तस बनी हुई है। ग्राम में स्वास्थ्य सेवाएं बदहाल
आजादी के बाद से इस गांव में स्वास्थ्य केंद्र का अभाव है, साथ ही स्वास्थ्य कर्मचारी भी इस गांव में नहीं पहुंचते। गांव के ग्रामीणों ने बताया कि राज्य सरकार व जिला प्रशासन सहित केशकाल विधायक से भी कई बार स्वास्थ्य केंद्र खोलने के लिए कह चुके हैं, लेकिन जनप्रतिनिधि व जिला प्रशासन स्वास्थ्य सुविधा उपलब्ध कराने में नाकाम नजर आ रहे हैं।
पडोसी जिला पर निर्भर हैं ग्रामवासी
ग्रामीणों ने बताया कि कोण्डागांव जिले में स्वास्थ्य सुविधा तो है, पर मरीज को लेकर जिला मुख्यालय या ब्लाॅक मुख्यालय केशकाल पहुंचना आसान नहीं है, क्योंकि कच्चा व पहाड़ी रास्ता है, साथ ही दूरी भी अधिक है, इसलिए ले जाना संभव नहीं है। ग्रामीणों ने बताया कि किसी व्यक्ति की अचानक स्वास्थ्य खराब होने या महिलाओं को प्रसव पीड़ा होने की स्थिति में ग्रामीण कावड़ के सहारे मरीज को कांकेर जिला ले जाने को मजबूर हैं, क्योंकि पड़ोसी जिला नजदीक होने के कारण कांकेर की ओर जाते हैं, पर कांकेर जिला जाने के लिए भी कच्चे रास्ते से ही होकर जाना पड़ता है, लेकिन समय रहते मरीज को ईलाज मिल जाता है, पर कुछ को ईलाज भी नसीब नहीं हो पाता।
नहीं है सड़क पुल पुलिया
ग्रामीणों ने बताया कि इस ग्राम में पुल पुलिया तो दूर की बात है, एक पक्की सड़क भी नहीं है। ब्लाॅक मुख्यालय केशकाल हो या फिर पडोसी जिला कांकेर दोनों जगह जाने के लिए कच्चे रास्ते से ही जाना पड़ता है। ग्रामीणों ने बताया की लोग कहते हैं कि कोण्डागांव जिला में कांग्रेस सरकार के दौरान बहुत विकास हुआ है, लेकिन आज तक विकास इस ग्राम में नहीं पहुंच पाया, जिससे वे विकास से ही अनभिज्ञ हैं।
नल जल योजना क्या है ?
ग्राम मातेंगा में आज भी पीने के लिए साफ पानी की किल्लत है, गांव में हैंडपंप तो बनाए गए हैं, लेकिन खराब होने पर सुधारने के लिए महीनों इंतजार करना पड़ता है। विभाग या ग्राम पंचायत को शिकायत की जाती है, लेकिन मैकेनिक बनाने नहीं आते। कुल मिलाकर जानकारी देने के बाद भी विभाग वाले ध्यान नहीं देते, जिससे उन्हें काफी परेशानी उठानी पड़ती है। कुल मिलाकर नल जल योजना क्या है ? से भी अनभिज्ञ हैं।
10 किलोमीटर दुर से राशन लाने को मजबूर हैं
ग्रामीणों की माने तो सरकारी राशन दुकान भी इस ग्राम में नहीं है। ग्रामीणों ने बताया कि ग्राम पंचायत उमरादाह में सरकारी राशन दुकान है। उक्त सरकारी राशन दुकान 10 किलोमीटर दूरी पर है और राशन लेने के लिए भी पहाड़ के कच्चे रास्ते से होकर ही जाना पड़ता है। कुछ लोग मोटर साइकिल से तो कुछ ग्रामीण साइकल और कुछ पैदल कावड़ से राशन लेकर आते हैं। बरसात में कठिनाइयां बढ़ जाती है। कुल मिलाकर सरकारी राशन लेने के लिए भी परेशानियों का सामना करना पड़ता है।
कई ग्रामीणों के पास नहीं हैं राशन कार्ड
ग्रामीणों ने बताया कि ग्राम में कुछ ऐसे भी ग्रामीण हैं जिनके राशन कार्ड नहीं बन पाये हैं। कई बार सरपंच के पास राशन कार्ड के लिए दस्तावेज जमा किया गया, पर आज तक राशन कार्ड नहीं बन पाया है। ग्रामीण कहते हैं जब हमारा राशन कार्ड नहीं बन पा रहा है, तो फिर बाकी मूलभूत सुविधा कैसे इस ग्राम में बहाल हो पाएगा।
ग्रामीणों ने पहाड़ काटकर बनाया सड़क
ग्राम मातेंगा की जनसंख्या तकरीबन 6 सौ से अधिक है। जिला मुख्यालय आने-जाने के लिए मार्ग नहीं होने के कारण यहां के लोगों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है। आपको बतादें की सड़क के अभाव में ब्लॉक मुख्यालय केशकाल जाने के लिए पहाड़ से होकर गुजरना पड़ता था, बीते दिनों ग्रामीणों ने जनसहयोग से पहाड़ को काटकर आने जाने के लिए कच्चा रास्ता बनाया, जिससे होकर ही जिला मुख्यालय तक आना-जाना करते हैं, लेकिन इस रास्ते से आवाजाही करना आसान नही है। बरसात के दिनों में इस रास्ते से ब्लाॅक मुख्यालय तक जाना दुर्घटना को दावत देने जैसा है, वहीं एक बस्ती में एक पुल का निर्माण किया जा रहा है, पर वह भी अधूरा पड़ा हुआ है। कुल मिलाकर इस ग्राम से जिला मुख्यालय या ब्लाॅक मुख्यालय केशकाल तक बरसात के दिनों में आना-जाना करना, जान जोखिम में डालने जैसा है। बरहाल देखने वाली बात यह होगी कि केशकाल विधान सभा क्षेत्र के ग्राम मतेंगा के ग्रामीणों को कब तक मुलभूत सुविधाएं उपलब्ध हो पाती है ?
घनश्याम शर्मा की रिपोर्ट