वाहन चालकों की मांग जायज है- मोहन मरकाम
कोण्डागांव। पत्रिका लुक
केंद्र की मोदी सरकार द्वारा वाहन चालकों पर थोपे गए नये कानून पर प्रतिक्रिया देते हुए छग शासन के पूर्व मंत्री मोहन मरकाम ने कहा कि बिना किसी सलाह मशवरे के और ऐसे कानून से जनमानस को होने वाले नुकसान को अनदेखा कर मनमाने कानून थोपना केंद्र की मोदी सरकार की आदत बन चुकी है। देश के वाहन चालक आर्थिक रूप से इतने सक्षम नहीं हैं कि वे केंद्र की मोदी सरकार की इस तानाशाही फैसले के अनुपालन में 10 लाख रुपये जैसी भारी भरकम जुर्माना पटा सकें। एक तरफ तो भारी जुर्माना और दूसरी तरफ सात साल की सजा का प्रावधान जैसी दोहरी मार से ना केवल वाहन चालक वरन उसका पूरा परिवार बर्बाद हो जाएगा। यदि वाहन चालक को 7 साल की जेल हो जाएगी तो उसका घर कौन चलाएगा ? कैसे उसके परिवार का भरण पोषण होगा ? केंद्र की मोदी सरकार के द्वारा थोपे गए इस कानून से देश की अर्थव्यस्था में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले वाहन चालकों में दहशत व्याप्त है। दुर्घटनाएं जानबूझकर नहीं की जाती है, ऐसे में भारी भरकम जुर्माना और लम्बी सजा का प्रावधान अमानवीय और अव्यवहारिक है। इसके पहले भी केंद्र की मोदी सरकार ने तीन काले कृषि कानून पारित किया था और पूरे देश में किसानों के भारी विरोध के बाद कानून वापस लेना पड़ा था। उसी तरह आज वाहन चालकों के खिलाफ बने कानून को लेकर पूरे देश में वाहन चालक आंदोलन कर रहे हैं, जिससे माल परिवहन वाहन, यात्री बस आदि बन्द हो गए हैं और जिसका असर माल परिवहन, पेट्रोल डीजल की आपूर्ति, आम जनता के जीवन सहित उनके दैनिक जीवन में उपयोग आने वाली सामग्री की आपूर्ति भी प्रभावित हो रही है और जन जीवन अस्त व्यस्त हो गया है। केंद्र की मोदी सरकार को अहंकार त्यागकर वाहन चालकों की जायज मांग को देखते हुए तत्काल इस जनविरोधी कानून को रद्द कर देश के वाहन चालकों के हित को देखते हुए कानून में आवश्यक संसोधन करना चाहिए।