मोहित यादव ने गोबर बेच कराई जमीन की रजिस्ट्री
550 क्विंटल गोबर बेच अर्जित की 1.10 लाख आय
धमतरी। पत्रिका लुक
प्रदेश राज्य सरकार की गोधनिया योजना पशुपालकों के लिए वरदान से कम नहीं, गोबर से किसानों पशुपालकों के साथ ही चरवाहों को भी लाभ मिलने लगा है, जीले के ग्राम पोटियाडीह के चरवाहा ने गोबर बेचाकर उसी राशि से प्राप्त प्लाट की रजिस्ट्री भी की। जिला मुख्यालय से लगे धमतरी विकासखंड के ग्राम पोटियाडीह में रहने वाले चरवाहा मोहितराम यादव प्रतिदिन गोबर बेचते हैं, वे एक लाख से अधिक की राशि राशि कर लेते हैं। लगभग डेढ़ साल पहले तक वह गोबर को संचित कर सिर्फ कंडे बनाने का काम करता था, वास्तविक उपयोग घरेलू ईंधन के रूप में करता था, वहीं बचे हुए कण्डों औने-पौने दाम में बेच देता था। जब मोहित यादव से इस योजना की उनके जीवन में प्रभाव के बारे में पूछा गया, तो उन्होंने उत्साहित होकर ठेठ बोली में कहा- ‘हमर छत्तीसगढ़ी में एक ठन हाना जुड़े हे- गुरवा के घलो दिन बहुरथे…। इसकी लागत हे, जीज हमर सरकार हमरे मन असन रोजी-मजदूरी करके रहने देने वाला मन बर ए योजना लनाय हवै । कभू नए सोंचे रहेन कि गौठान म गोबर बेंच हमर जिनी संवर जाही। 61 वर्ष चरवाहा मोहित यादव ने बताया कि पोटियाडीह में गोठान बनने के बाद वहां से प्रतिदिन औसत 50 स्थान गोबर करते हैं, जिससे आपके चरवाहे वाले काम के अलावा प्रतिदिन 100 रुपये की आय मिल जाती है। उन्होंने बताया कि अब तक 55 हजार किलो यानी 550 क्विंटल गोबर गांव में निर्मित गोठान में बेचकर एक लाख 10 हजार रुपये की आय की दर से। इस काम में उनकी पत्नी द्रोपदी के अलावा कुंदन और गुलशन भी साथ देती हैं। मोहित यादव ने यह भी बताया कि बड़े बेटे फलेन्द्र की शादी के बाद उन्होंने घर बनाने की सोची, जिसके बाद गांव में ही 14 डिसमिल प्लाट खरीद लिया। इसके बाद रजिस्ट्री के लिए एक लाख से अधिक राशि लगने की बात आई तो वे चिंतित हो उठे। फिर उनकी पत्नी ने गोबर बेचकर सागर पूंजी को अधिकार दिलाने की सलाह दी। फिर क्या था, सागर राशि को अपनी जमीन की रजिस्ट्री कर ली और अब वे बेहद खुश हैं कि 14 डिसमिल प्लॉट का अधिकार उन्हें मिल गया। मोहित यादव की पत्नी द्रोपदी ने यह भी बताया कि वह गोठान समिति के सक्रिय सदस्य हैं और गोबर बेचने के अलावा घर पर बकरी और मुर्गियां भी पाल रखी हैं। वर्तमान में उनके घर में आठ गाय-भंस, 26 बकरे-बकरियां और 32 मुर्गे-मुर्गियां चूजों सहित हैं।