छत्तीसगढ़

छत्तीसगढ़ में देश के तीन चौथाई से अधिक लघु वनोपजों का संग्रहण

रायपुर। छत्‍तीसगढ़ एक बार फ‍िर आंकड़ों की रेस में आगे निकल गया है। देश में कुल संग्रहित लघु वनोपजों में से तीन चौथाई से अधिक अर्थात 75.38 प्रतिशत लघु वनोजपों का संग्रहण छत्तीसगढ़ में हुआ है। वित्तीय वर्ष 2020-21 के दौरान अभी 23 मार्च तक देश में न्यूनतम समर्थन मूल्य पर 181 करोड़ 25 लाख रूपए की राशि के लघु वनोपजों की खरीदी की गई है। इसमें छत्तीसगढ़ में 136 करोड़ 63 लाख रुपए की राशि के लघु वनोपजों की खरीदी शामिल है।
सरकार का कहना है कि मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के नेतृत्व और वन मंत्री मोहम्मद अकबर के मार्गदर्शन में छत्तीसगढ़ के लघु वनोपजों का संग्रहण निरंतर जारी है। ‘द ट्राइबल को-ऑपरेटिव मार्केटिंग डेवलपमेंट फेडरेशन ऑफ इंडिया (ट्राईफेड)’ द्वारा जारी किए गए आंकड़ों ने प्रदेश का मान बढ़ाया है। राज्य में वर्तमान में विगत अक्टूबर से अब तक लगभग छह माह की अवधि में 32 करोड़ 63 लाख रूपए की राशि के एक लाख 20 हजार 665 क्विंटल लघु वनोपजों का संग्रहण किया गया है।
इनमें छह करोड़ 64 लाख रूपए की राशि के 39 हजार 84 क्विंटल बहेड़ा, 10 करोड़ 77 लाख रूपए की राशि के 29 हजार 921 क्विंटल इमली (बीज सहित) तथा तीन करोड़ 43 लाख रूपए की राशि के 22 हजार 836 क्विंटल हर्रा का संग्रहण हो चुका है। इसी तरह चार करोड़ 15 लाख रूपए की राशि के 10 हजार 376 गिलोय, दो करोड़ 59 लाख रुपए की राशि के सात हजार 392 क्विंटल कालमेघ तथा 78 लाख रूपए की राशि के 345 क्विंटल शहद का संग्रहण किया गया है।
इस दौरान माहुल पत्ता, नागरमोथा, भेलवा, बहेड़ा कचरिया, धवई फूल (सूखा), हर्रा कचरिया, पुवाड़ (चरोटा), बेल गुदा, सतावर (सूखा), कुसुम बीज, फुल झाडू, रंगीनी लाख, वन तुलसी, फूल इमली, जामुन बीज (सूखा), वन जीरा, इमली बीज, आंवला बीज रहित, कुसुमी लाख कुल्लू गोंद, महुआ बीज, करंज बीज तथा बायबडिंग का संग्रहण हुआ है।
इसके अलावा पाताल कुम्हड़ा (बेदारी कंद), तिखुर, सवई घास, कोरिया छाल, छिन्द घास, आंवला (कच्चा), कांटा झाडू, कुटज छाल, अडुसा पत्ता, इन्द्रजौ बीज, सफेद मुसली, पलाश फुल, काली मूसली, कोरिया बीज, बैचांदी, बेल (कच्चा), बीहन लाख-कुसमी तथा बीहन लाख-रंगीनी का भी संग्रहण किया गया है। इनमें से एक करोड़ 78 लाख रूपए की राशि के एक हजार 187 क्विंटल पाताल कुम्हड़ा का संग्रहण हो चुका है।

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