छत्तीसगढ़
मुख्यमंत्री के समक्ष 85 हेक्टेयर में पाम वृक्ष के प्लांटेशन एवं प्रसंस्करण हेतु किया गया एमओयू
3500 से अधिक किसानों को प्रतिवर्ष 3-4 लाख का होगा मुनाफा, 100 करोड़ से अधिक का होगा सीधे भुगतान
पाम ऑइल प्लांट से 550 से अधिक लोगों को मिलेगा रोजगार
कोंडागांव पत्रिका लुक।
27 से 29 मई के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल प्रवास के दौरान 28 मई को विश्राम गृह में आयोजित समारोह में मुख्यमंत्री के समक्ष जिला प्रशासन एवं अम्मा पाम प्लांटेशन्स प्राइवेट लिमिटेड के मध्य एमओयू पर हस्ताक्षर किये गये। इस एमओयू के अनुसार अम्मा पाम प्लांटेशन्स के द्वारा जिले में किसानों को पाम वृक्षों के रोपण एवं इनके रक्षण एवं उत्पादन का प्रशिक्षण देकर पाम फलों का उत्पादन कराया जायेगा। इन उत्पादित फसलों का पूर्णतः अम्मा पाम द्वारा खरीदी कर इसका जिले में प्लांट लगाकर प्रसंस्करण किया जायेगा। जिससे किसानों को लाभ प्राप्त होगा।
इसके संबंध में अम्मा पाम प्लांटेशन्स के संचालक हरीश ने बताया कि यूक्रेन-रूस युद्ध के साथ पूरे विश्व में सभी वस्तुओं के मूल्यों में वृद्धि की है। ऐसे में भारत में सर्वाधिक आयात एवं उपभोग किये जाने वाले पाम ऑइल की मांग भी बढ़ती जा रही है। भारत में पाम ऑइल के आयात पर इंडोनेशिया जैसे देशों पर निर्भरता खत्म करने के उद्देश्य से राष्ट्रीय खाद्य तेल मिशन प्रारंभ किया गया है। जिसमें पाम ऑइल के उत्पादन एवं वृक्षों के प्लांटेशन हेतु कार्ययोजना तैयार की गई है। इसी मिशन के तहत् कोण्डागांव जिले में पाम के वृक्षों की खेती हेतु आवश्यक जलवायु की उपलब्धता को देखते हुए जिला प्रशासन ने अम्मा पाम के साथ एमओयू कर जिले में 85 हेक्टेयर में पाम के वृक्षों को लगाने पर सहमती व्यक्त की गई है। इन वृक्षों से होने वाले फलों के लिए कम्पनी द्वारा बाय बैक गारंटी के तहत् उत्पादित प्रत्येक फसल को खरीद कर 15 दिनों में भुगतान सुनिश्चित किया जायेगा। इन पाम वृक्षों के रोपण कर जिले में पाम ऑइल निकालने हेतु 20 करोड़ की लागत से ऑइल प्रोड्क्शन यूनिट जुलाई 2022 से प्रारंभ कर फरवरी 2023 तक स्थापित किया जायेगा। इस प्लांट से प्रति घण्टे 10 टन ऑइल उत्पादन होगा एवं वर्ष में 50 हजार टन ऑइल का उत्पादन होगा। इस प्लांट का कुल वार्षिक टनओवर 150 करोड़ होगा। इसके माध्यम से 50 लोगों को प्रत्यक्ष एवं 500 से अधिक लोगों को अप्रत्यक्ष रूप से रोजगार प्राप्त होगा। जिससे कृषकों को प्रतिवर्ष 100 करोड़ से अधिक की राशि प्राप्त होगी।
ज्ञात हो कि भारत पाम ऑइल का सबसे बड़ा उपभोक्ता एवं आयातक देश है। पाम ऑइल का उपयोग व्यवसायिक स्तर पर खाद्य पदार्थ, साबुन, कॉस्मेटिक्स आदि में किया जाता है। जिससे इसकी उपयोगिता बढ़ जाती है। पाम ऑइल के एक वृक्ष में 03 साल से लेकर 25 साल तक लगातार उत्पादन होता है साथ ही पाम वृक्ष कीट प्रतिरोधी भी होता है, जिससे इनमें ज्यादा कीड़े भी नहीं लगते और इन्हें कम ध्यान देने की आवश्यकता पड़ती है। एक हेक्टेयर में 143 पौधे लगाये जा सकते हैं। इन 143 पौधों से 25 टन पाम फलों का उत्पादन होगा। पाम फलों से निकले तेल के एक टन की कीमत 20 हजार रूपये होती है। इन पेड़ों से सालभर फलों का उत्पादन होता रहता है। प्रत्येक 15 दिन में फलों की कटाई की जाती है। इन पेड़ों के मध्य 09 मीटर का फासला रखा जाता है। जिससे इनके बीच शेष स्थान पर मिश्रित फसल के रूप में केला, मक्का, कोको या सब्जियां भी उगायी जा सकती हैं।