नक्सलियों के द्वारा नेताओं की हत्या पर परिवार को डिप्टी कलेक्टर व अन्य की हत्या पर परिवार के लोगों को चपरसी ये कैसा भेदभाव सरकार का- विजय प्रकाश गुप्ता
नक्सलीवाद खत्म करने की योजना नहीं बल्कि खाने के लिए योजना योजना बनाई जाती है
पुनर्वास योजना के लाभ से वंचित नक्सल पीड़ित परिवारों का सम्मेलन आयोजित
कोंडागांव। नक्सल पीड़ित परिवार प्रदेश अध्यक्ष के आव्हान पर राज्य स्तरीय मिलन समारोह का हुआ आयोजन। आपको बतादें की पुनर्वास योजना के लाभ से वंचित नक्सल पीड़ित परिवारों का सम्मेलन एवं मिलन समारोह रविवार 5 दिसम्बर को एनसीसी मैदान में आयोजित हुआ। इस आयोजन में प्रदेश के अलग-अलग हिस्से से नक्सल हिंसा से पीड़ितों ने हिस्सा लिया। नेतृत्व कर्ता प्रदेश अध्यक्ष विजय प्रकाश गुप्ता राजनांदगांव के मुताबिक छत्तीसगढ़ राज्य में नक्सल पीड़ित पुनर्वास योजना वर्ष 2004 में बनी है, लेकिन पुनर्वास योजना महज कागजों में चल रही है। योजना का लाभ छत्तीसगढ़ के नक्सल पीड़ित परिवारों को नहीं मिल रहा है। मात्र 20 से 25 प्रतिशत नक्सल पीडित ही योजना का लाभ उठा रहे हैं, छत्तीसगढ़ सरकार पुनर्वास योजना को खंगाल कर देखे और योजना का लाभ सभी पीड़ित परिवारों को मिले तो छत्तीसगढ़ में नक्सलवाद समस्या खत्म हो सकता है। योजना का लाभ न मिलने से नक्सलवाद खत्म नहीं हो रहा, आगे हाई कोर्ट जाने की तैयारी है, जनवरी में दिल्ली के जंतर मंतर में जाकर धरना प्रदर्शन करेंगे ओर जब तक हम पीड़ित परिवार की मांग पूरी नहीं होगी तब तक दिल्ली में ही धरने पर डते रहेंगे। नक्सल पीड़ित परिवार पदेश अध्यक्ष विजय प्रकाश गुप्ता ने बताया कि नक्सल पुर्नवास योजना 2014 में राज्य सरकार के द्वारा लागू किया गया, पर सिर्फ और सिर्फ कागजों में। सिर्फ 20 से 25 प्रतिशत पीड़ितों को ही इस योजना का लाभ मिल रहा है और 75 प्रतिशत योजना का लाभ वर्तमान कांग्रेस की सरकार हो या पूर्व में रही सरकारों के द्वारा डकारा जाता रहा है।
भूपेश बघेल की सरकार इस नक्सल पुनर्वास योजना को खंगाल ले तो उन्हें पता चल जाएगा कि हकीकत क्या है ? छग में नक्सलवाद खत्म हो सकता है, लेकिन पुनर्वास योजना का लाभ नहीं मिलने के चलते नक्सलवाद खत्म नहीं हो रहा। राज्य सरकार पर नक्सल पीड़ित परिवार के लोगों के साथ भेदभाव का आरोप लगाते हुए कहा कि अगर नक्सलियों के द्वारा नेताओं की हत्या कर दिया जाता है, तो उन्हें शहीद का दर्जा मिलता है और उनके परिवार के सदस्य को डिप्टी कलेक्टर का पद दे दिया जाता है। वहीं मुखबीरी करते हुए या अन्य कारणों से नक्सलियों के द्वारा अन्य आम लोगों को मार दिया जाता है, तो वे शहीद नहीं माने जाते, ना ही कोई लाभ मिलता है, मिलता हैं तो मात्र चपरासी की नौकरी और अधिकारियों के घर में झाड़ू पोंछा, बर्तन, खाना बनाने का कार्य। ये कैसा शहीद परिवार के उत्तराधिकारी के साथ भेदभाव ? राज्य सरकार को इस मुद्दे को गम्भीरता से लेना चाहिए। वही आगे वही आगे कहा कि बस्तर में सड़वा जुडूम आंदोलन में बस्तर के भोलेभाले आदिवासियों को विशेष पुलिस बनाया गया चाहे वो पढ़े लिखे हो या अनपढ़ उनको भर्ती कर दिया गया। पर विशेष पुलिस का मतलब होता हैं मुखबिर , मुखबिर बना दिया गया। सरकार सिर्फ अपनी वाहवाही लूटने के लिए भोले भाले आदिवासियों को इस आंदोलन में हथियार दे खड़ा कर दिया। राज्य सरकार नक्सल खत्म करने के लिए बहुत सारी योजना बनाती पर सिर्फ और सिर्फ खाने के लिए। 20 से 25 वर्ष हो गए पर नक्सलवाद नहीं हो रहा खत्म। इस लड़ाई में जवान मरते जा रहे, किसान मरते जा रहे, नक्सली मरे जा रहे, ऐसे में कैसे होगा नक्सलवाद खत्म सरकार को सोचना होगा?
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