नाच गा कर पीसीसी चीफ मोहन मरकाम घर-घर पहुंच मांग रहे हैं अनाज
लोक पर्व छेर-छेरा एवं पुन्नी के उपलक्ष्य में ग्रामीण अंचलों के घरों में पहुंचे मोहन मरकाम
कोण्डागांव। पत्रिका लुक
यूं तो छत्तीसगढ़ में अनेक पारंपरिक त्यौहार व मेलों का आयोजन समय-समय पर होता रहता है, इन्हीं में एक लोक पर्व छेरछेरा एवं पुन्नी भी है जिसमें फसल कटाई के बाद ग्रामीण जन एकत्र हो घर- घर नाचते गाते पहुंच धन-धान्य अर्जित करते हैं व उक्त अर्जित धन-धान्य से सब मिलकर जंगल भोज का आनंद उठाते हैं । इसी परंपरा को निभाते पीसीसी चीफ सह कोण्डागांव विधायक मोहन मरकाम कांग्रेस पदाधिकारियों व कार्यकर्ताओं संग ग्रामीण अंचल के घरों में पहुंच नाचते गाते परंपरा का निर्वहन करते नजर आए जो छत्तीसगढ़ की संस्कृति का एक प्रतीक है। यह उत्सव कृषि प्रधान संस्कृति में दानशीलता की परंपरा को याद दिलाता है उत्साह एवं उमंग से जुड़ा छत्तीसगढ़ का मानस लोकपर्व के माध्यम से सामाजिक समरसता को सुदृढ़ करने के लिए आदिकाल से संकल्पित रहा है इस दौरान लोग घर-घर जाकर अन्न का दान मांगते हैं। वहीं गांव के युवक घर-घर जाकर डंडा नृत्य करते हैं लोक परंपरा के अनुसार पौष महीने की पूर्णिमा को प्रतिवर्ष छेरछेरा का त्यौहार मनाया जाता है इस दिन सुबह से ही बच्चे युवक व युवतियां हाथ में टोकरी, बोरी आदि लेकर घर-घर छेरछेरा मनाते हैं। वहीं युवाओं की टोली डंडा नृत्य कर घर-घर पहुंचती है धान मिसाई खत्म हो जाने के चलते गांव में घर-घर धान का भंडार होता है जिसके चलते लोग छेरछेरा मनाने वालों को दान करते है। इस त्यौहार को 10 दिन पहले ही डंडा नृत्य करने वाले लोग आसपास के गांव में नृत्य करने जाते हैं वहां उन्हे बड़ी मात्रा में धान व रूपए उपहार के रुप में मिलता है। इस दिन प्रायः काम-काज बंद रहता है लोग गांव से बाहर नहीं जाते हैं। अन्नपूर्णा देवी तथा मां शाकंभरी देवी की पूजा की जाती है ऐसा माना जाता है कि जो भी बच्चों तथा युवक-युवतियों को अन्नदान करते हैं वह मोक्ष प्राप्त करते हैं।छत्तीसगढ़ का यह पर्व ना केवल संस्कृति बल्कि धार्मिक महत्व का भी पर्व है। वही पीसीसी चीफ सह मोहन मरकाम ने पारंपरिक तिहरा छेरछेरा की बधाई दी, साथ ही बताया कि राज्य की कांग्रेस सरकार छत्तीसगढ़ की पारंपरिक तिहार को बढ़ावा दिया है ताकि लोग अपनी पारंपरिक को ना भूले। मीडिया ने पूछा मांगे गए धान ओर पैसा का क्या करेंगे तो इस पर पीसीसी चीफ ने कहा कि शाम को सभी साथी बैठ कर दान में आए धान व पैसे का बंटवाया करेंगे और सभी मिलकर पार्टी करेंगे।