छत्तीसगढ़

आजादी के बाद पहली बार नसीब हो रहा शुद्ध पानी

जगदलपुर। आजादी के बाद पहली बार वनवासियों को शुद्ध पानी पीने का मौका मिल रहा है। बिजली, सड़क और संचार की सुविधाओं से दूर इन गांवों में कई सालों से मूलभूत सुविधाएं नसीब नहीं है। वहां के दुर्गम इलाके में सूरज की रोशनी से लोगों की प्यास बुझाई जा रही है। कोरोना काल में दंतेवाड़ा,कांकेर और नारायणपुर जिले के अंतिम छोर पर अबूझमाड़ में पहाड़ियों की गोद में बसे गांवों में ग्रामीणों बक लिए यह बड़ी राहत भरी खबर है।

हांदावाड़ा, टहाकावाड़ा, काकावाड़ा, लंका, कोडेनार, गोमे, आदपाल, कोडहेर, धुरबेड़ा, रायनार समेत 43 गांव में कोरोना काल के बावजूद शुद्ध पेयजल व्यवस्था के लिए सोलर ड्यूल पंप संयंत्र स्थापित किए गए हैं। अति नक्सल प्रभावित इलाके में जल संकट दूर हो गया है। महामारी के दौर में अबुझमाड़िया परिवार को सरकार से बड़ी सौगात मिली है। कांकेर जिले सीमा से लगे रावघाट के पहाड़ो में बसे सुदूर ग्राम अंजरेल में सोलर ड्यूल पंप स्थापना की गई है।

सौर ऊर्जा आधारित पानी टंकी लगने से गांव की मूलभूत पेयजल समस्या का समाधान हुआ है। ग्रामीणों को झरिया के पानी से छुटकारा मिल गया है। बता दें कि प्रत्येक सोलर ड्यूल पंप में पांच साल की वारंटी अवधि होती है। वारंटी अवधि के बाद भी सोलर ड्यूल पंपों की कार्यशीलता कई सालों तक सामान्यतः बाधित नहीं होती है।

स्थापना उपरांत सोलर ड्यूल पंप संयंत्रों को संबंधित ग्राम पंचायत को हस्तांतरित किया जाता है। जिसकी सुरक्षा व रखरखाव की संपूर्ण जिम्मेदारी संबंधित ग्राम पंचायत की होती है। किसी भी तकनीकी खराबी के दौरान सुधार कार्य क्रेडा विभाग द्वारा तकनीशियनों और पंप सहायकों के माध्यम से कराया जाता है।

दंतेवाड़ा में नदी पार कर पहुंच रही टीम

दंतेवाड़ा जिले के ग्राम बारसूर से होते हुए इंद्रावती नदी पार कर टीम संयंत्र स्थापना करने जा रही है। क्रेडा विभाग के के द्वारा ग्रामीणों के साथ बैठक कर पहुंच मार्ग बनाने की अपील किया गया था। गांव के पहुंच मार्ग में कई जगह छोटे-बड़े नदी-नाले होने से बांस-बल्लीयों के बने अस्थाई रपटा पुलिया की आवश्यकता होती है। वर्तमान में यहां एक सोलर ड्यूल पंप स्थापना कार्य प्रगतिरत है। अबूझमाड़ के हितवाड़ा के बेडमापारा में बालक आश्रम बेडमा के पास यूनिट लगाई जा रही है।नारायणपुर में 429 सोलरपंप से बुझ रही प्यास

ओरछा ब्लाक में पेयजल की व्यवस्था के लिए सोलरपंप स्थापित किए जा रहे हैं। नारायणपुर जिले में पेयजल व्यवस्था के लिए 429 सोलरपंप क्रेडा विभाग द्वारा स्थापित किए गए हैं। जिसमें 413 नग सोलर ड्यूल पंप और सोलरपंप है। वहीं, 16 नग आईआरपी और आरओ संयंत्र है। जिसमें 425 नग सोलरपंप संयंत्र चालू अवस्था में है। वहीं, चार नग बोरवेल खराब हो जाने के कारण बंद पड़ा हुआ है।

ऐसे काम करता है सोलर ड्यूल पंप

प्रत्येक सोलर ड्यूल पंप के स्ट्रक्चर की ऊंचाई आवश्यकता अनुसार 4.5 मीटर, 06 मीटर, 09 मीटर अथवा 12 मीटर रहती है। जिसकी कुल क्षमता क्रमशः 600 अथवा 900 अथवा 1200 वाट तक की होती है। जिसमें 300 वाट क्षमता के क्रमशः 02 अथवा 03 अथवा 04 पेनल लगे होते हैं। जिसमें क्रमशः 0.5 एच.पी. अथवा 01 एचपी अथवा 1.5 एचपी क्षमता की सबमर्सिबल पंप बोरवेल में स्थापित की जाती है जो सूर्य के प्रकाश से सौर पैनल और चार्ज कंट्रोलर के माध्यम से चलती होती है और 5000 लीटर अथवा 10000 लीटर क्षमता के ओवरहेड टैंक को भरती हैं।

रात में भी मिलता है पानी

जिससे सनलाइट के वक्त तो भरपूर पानी मिलता ही है, रात में भी टंकी में स्टोरेज पानी रहता है, जिससे रात के समय भी यहां लोगों को पानी मिलता ही रहेगा। ओवरहेड टैंक में फ्लोटिंग स्वीच भी लगी होती है, जो कि कंट्रोलर से कनेक्ट रहती है। जैसे ही टैंक में एक निश्चित सीमा तक जल भराव होता है। सबमर्सिबल पंप आटोमेटिक बंद हो जाती है। जिससे ओवरफ्लो ‌नहीं होता है और पानी की बचत होती है। कंट्रोलर में मैन्‍युअल आन आफ स्वीच भी होता है, जिसके माध्यम से संयंत्र बंद चालू करने का प्रशिक्षण स्थापना कार्य के समय ग्रामीणों को दिया जाता है।

अबूझमाड़ के लिए वरदान

सोलर एनर्जी से संचालित यूनिट अबूझमाड़ के दुर्गम गांवों के लिए किसी वरदान से कम नहीं है। कोरोना काल में 43 अंदरूनी गांव में सोलर पंप स्थापित किए गए है। बस्तर संभाग के नारायणपुर,दंतेवाड़ा और कांकेर जिले की सीमा में बसे गांवों तक पहुंचकर प्लांट लगाना काफी चुनौती पूर्ण कार्य रहा है। भीषण गर्मी के दौरान अबुझमाड़िया परिवार को इसका लाभ मिल रहा है।

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