बलौदाबाजार। पत्रिका लुक
कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने बुधवार को बलौदाबाजार की चुनावी सभा में बड़ा वादा किया है। उन्होंने कहा कि केंद्र में कांग्रेस की सरकार बनने के बाद छत्तीसगढ़ में दो या तीन अंतरराष्ट्रीय एयरपोर्ट बनाएंगे। इसके बाद किसान अपनी फसल विदेशों में बेच सकेंगे। इससे किसानों को उपज का सही दाम मिलेगा।
वहीं राहुल गांधी ने सभा में कांग्रेस सरकार की उपलब्धियां गिनाते हुए कहा कि पिछली बार छत्तीसगढ़ की जनता ने हम पर भरोसा किया, इसलिए हमने अपने वायदे पूरे किए। किसानों का 10 हजार करोड़ रुपए का कर्जा माफ किया, सिर्फ दो घंटे के अंदर कर्जा माफ कर दिया। किसानों के कंधे पर कर्ज का भारी बोझ था, हमारे मुख्यमंत्री ने कागज पर हस्ताक्षर किया, और एक हस्ताक्षर ने उस बोझ को उतार दिया।
किसानों को धान खरीदी का 2600 रुपए मिलता है। छत्तीसगढ़ देश में धान खरीदी के मामले में पहले नंबर पर है। राहुल ने कहा कि 2014 में न्याय योजना का वादा किया था, जिसे छत्तीसगढ़ सरकार ने पूरा किया है। 23 हजार करोड़ रुपए 26 लाख किसानों के बैंक खाते में डाले गए। इसके अलावा मजदूरों के बैंक खाते में हर साल 7 हजार रुपए डाल रहे हैं।
छत्तीसगढ़ में अंग्रेजी स्कूल का जाल बिछा दिया है। प्रदेश में 380 अंग्रेजी स्कूल खोले गए हैं। यहां के तीन बच्चों ने पूछने पर बताया कि वे स्वामी आत्मानंद स्कूल में अंग्रेजी बढ़ते है। वहीं बीजेपी के नेता कहेंगे कि छत्तीसगढ़ी, अंग्रेली मत बढ़िए, हिंदी पढ़िए। उससे पहुंचेंगे कि आपके बच्चे कहा पढ़ते हैं, तो वो जवाब देंगे अंग्रेजी मीडियम में पढ़ते हैं, उनके बच्चे अंग्रेजी मीडियम में पढ़ते हैं, और आपके बच्चे? उसके बच्चे को अच्छी नौकरी मिलेगी। और आपके बच्चों को नहीं मिलेगा। ऐसा नहीं होना चाहिए। छत्तीसगढ़ में छत्तीसगढ़ी, बिहार या उप्र में हिंदी, विदेश में अंग्रेजी में बात करेंगे। ये सोच में फर्क है।
राहुल गांधी ने वादा कि जैसे ही दिल्ली में सरकार आएंगी, छत्तीसगढ़ में दो या तीन अंतरराष्ट्रीय एयरपोर्ट बनाएंगे।यहां जो खेती करते हैं, उसको विदेश में बेचने का हमारा प्लान है। छत्तीसगढ़ का किसान अपनी उपज हिंदुस्तान में नहीं विदेशों में भी बेचेंगे। उसे हिंदुस्तान का नहीं, दुनिया का मूल्य मिलेगा। प्रदेश में किसानों को 2600 रुपए धान का मिलता है। चुनाव के बाद 3200 रुपए तक जाएगा। 200 यूनिट बिजली फ्री मिलेगी।इससे 40 लाख परिवारों को फायदा होगा। केजी से पीजी की पढ़ाई फ्री में होगी। गृहलक्ष्मी योजना के तहत छत्तीसगढ़ की हर महिला को साल में 15 हजार रुपए बैंक खाते में दिए जाएंगे।
राहुल गांधी ने मोदी पर हमला बोलते हुए कहा कि पीएम मोदी आते हैं, मेरे बारे में गलत शब्द बोलते हैं, गाली देते हैं, लेकिन मुझे फर्क नहीं पड़ता है। वो मुझे कोई भी नाम बोले फर्क नहीं पड़ता है। वो मुझे चिढ़ की वजह से गाली देते हैं। राहुल ने कहा कि जिस दिन से जाति जनगणना की बात शुरू की, उस दिन से नरेंद्र मोदी मुझे गाली देना शुरू कर दिए। पहले कहते थे कि ओबीसी हूं। मैंने कहा कि जाति जनगणना होनी चाहिए। अब मोदी कहते हैं कि देश में कोई जाति नहीं है। सिर्फ गरीबी है। जब जाति जनगणना की बात आई तो पलट गए। जब चुनाव जीतने की बारी आई तो 24 घंटे कहते हैं कि मैं ओबीसी हूं। लेकिन देश में ओबीसी को भागीदारी नहीं मिली है।
50 प्रतिशत इस देश का ओबीसी है। ये ज्यादा भी हो सकता है। मतलब जब हम किसानों को पैसा देते हैं तो 50 फीसदी ओबीसी को जाता है। जब नरेंद्र मोदी 14 लाख करोड़ रुपए अरबपतियों को कर्जा माफ करते हैं तो एक रुपया ओबीसी को नहीं मिलता है।
राहुल गांधी ने बताया कि सरकार बनने के बाद सीएम भूपेश बघेल से पहली बात कही कि जितना पैसा बीजेपी के लोग अरबपतियों को देती है। उनता पैसा, किसान, युवा व महिलाओं के अकाउंट में डालना होगा। हर रुपए की गिनती होनी चाहिए। वो अडानी को एक रुपए दे तो छत्तीसगढ़ के गरीब आदमी के खाते में एक रुपए जाना चाहिए। प्रदेश की अर्थव्यवस्था को किसान मजदूर, छोटे दुकानदार चलाते हैं। अडानी सारा पैसा अमेरिका सहित अन्य देशों में खर्च करते हैं। इससे हिंदुस्तान में रोजगार खत्म हो जाता है। आम इंसान को पैसा जाता है तो इससे अर्थव्यवस्था मजबूत होती है।
राहुल गांधी ने पीएम मोदी को कहा कि आप ओबीसी कैसे बन गए। आप कौन है, हवाई जहाज में उड़ते हैं। 12 करोड़ की गाड़ी, करोड़ों रुपए का सूट पहनते हैं। मोदी को दो दिन एक ही सूट पहनते नहीं देखा होगा। मेरी एक ही शर्ट चलती है। उनको देखों हर रोज नहीं नया कपड़ा पहनते हैं।
जब ओबीसी की मदद करने का समय आया, तो कहते हैं कि देश में कोई जाति नहीं है। 90 लोग इस देश को चलाते हैं। दिल्ली सरकार को आईएएस अफसर चलाते हैं। देश का पूरा बजट 90 लोग तय करते हैं। मोदी जी 50 फीसदी ओबीसी की है, संसद में पूछा कि बताये कि 90 अधिकारी में से कितने ओबीसी है। वे चुप हो गए। 90 में से सिर्फ तीन अफसर है। कोने में बैठे रहते हैं, उनको काम नहीं दिया जाता है। वे 5 फीसदी निर्णय लेते हैं।