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कोरोना वायरस का पता लगाने के लिए नई जांच प्रणाली विकसित करने में जुटे शोधकर्ता, जानिये इसमें क्‍या होगा

कोरोना वायरस (कोविड-19) की जांच प्रक्रिया में तेजी लाने के लिए निरंतर शोध किए जा रहे हैं। इसी प्रयास में जुटे शोधकर्ता एक ऐसा नया सलाइव-बेस्ड बायोसेंसर टेस्ट विकसित कर रहे हैं, जिससे तेज गति से इस घातक वायरस का पता लगाया जा सकता है। लार आधारित यह नई जांच न सिर्फ किफायती होगी बल्कि इसका बड़े पैमाने पर उत्पादन भी किया जा सकेगा। यह टेस्ट ग्लूकोज टेस्ट स्ट्रिप से प्रेरित है। इसका इस्तेमाल डायबिटीज से पीड़ित लोग ब्लड शुगर के स्तर को जांचने के लिए करते हैं। स्कॉटलैंड की स्ट्रेथक्लाइड यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं के अनुसार, इस टेस्ट को कहीं भी अंजाम देने के लिहाज से तैयार किया जा रहा है। इससे जांच प्रक्रिया में तेजी आएगी। प्रति टेस्ट करीब 20 रुपये की लागत से इसका बड़े पैमाने पर उत्पादन किया जा सकता है। रॉयल सोसाइटी ऑफ केमिस्ट्री की पत्रिका में अध्ययन के नतीजों को प्रकाशित किया गया है। शोधकर्ताओं ने बताया कि लार के नमूने को सीधे टेस्ट स्ट्रिप पर रखा जाता है, जिसके कुछ देर बाद डिस्प्ले पर नतीजा आ जाता है। जांच के इस तरीके से स्वैब टेस्ट में होने वाली परेशानी से बचा जा सकता है। इस टेस्ट में खासतौर पर एसीई2 नामक एंजाइम का इस्तेमाल किया गया है। कोरोना वायरस इसी एंजाइम के इस्तेमाल से कोशिकाओं से जुड़ता है। इस जांच के जरिये वायरस के स्तर का पता लगाया जा सकता है। अध्ययन के प्रमुख शोधकर्ता डा. डेमियन कोरिगन ने कहा, ‘कोरोना की जांच प्रक्रिया में तेजी लाने के साथ ही यह विधि किफायती भी साबित हो सकती है।’

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