नई दिल्ली । कोरोना की दूसरी लहर से देश की इकोनॉमी को चालू वित्त वर्ष के दौरान अभी तक दो लाख करोड़ रुपये का नुकसान हो चुका है। यह नुकसान मुख्य तौर पर स्थानीय व राज्य स्तरीय लॉकडाउन से मांग पर विपरीत असर से हुआ है। यह आकलन भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआइ) का है जिसने देश की इकोनॉमी पर बुधवार को जारी अपनी रिपोर्ट में कोरोना महामारी के दूरगामी असर की विस्तृत समीक्षा की है। आरबीआइ ने कहा है कि कोरोना वैक्सीन एक बड़ी खोज है, लेकिन सिर्फ वैक्सीनेशन से इस महामारी से बचाव नहीं हो सकता। हमें कोरोना के साथ ही जीने की आदत डालनी होगी, साथ ही सरकारों को हेल्थकेयर व लॉजिस्टिक्स में भारी भरकम निवेश भी करने को प्राथमिकता देनी होगी।
रिपोर्ट में इस बात का भी संकेत है कि महंगाई की चिंता अभी केंद्रीय बैंक के समक्ष बड़ी है लेकिन इसके बावजूद ब्याज दरों को लेकर सख्ती नहीं किया जाएगा।रिपोर्ट में कहा गया है कि चालू वित्त वर्ष के लिए विकास दर को 10.5 फीसद से घटाकर 9.5 फीसद करने से इकोनॉमी को अभी तक दो लाख करोड़ रुपये का नुकसान होता दिख रहा है। यह नुकसान ग्रामीण व छोटे शहरों में मांग प्रभावित होने की वजह से मुख्य तौर पर हो रहा है।
कोरोना की दूसरी लहर से देश की इकोनॉमी को चालू वित्त वर्ष के दौरान अभी तक दो लाख करोड़ रुपये का नुकसान हो चुका है। यह नुकसान मुख्य तौर पर स्थानीय व राज्य स्तरीय लॉकडाउन से मांग पर विपरीत असर से हुआ है।