फर्जी जाति प्रमाण पत्र के दम पर बना धनोरा गांव का सरपंच -सामाजिक पदाधिकारियों ने लगाया आरोप
कोण्डागांव। पत्रिका लुक
कोण्डागांव जिला के विकासखंड केशकाल अंतर्गत धनोरा के पूर्व सरपंच संतोष उईके का जाति प्रमाण पत्र का गंभीर आरोप लगा हैं। कहा जा रहा हैं कि, क्योंकि संतोष उईके ओबीसी वर्ग से संबंध रखते हुए गलत तरीके से आदिवासी जाति प्रमाण पत्र बनवाए थे। इसी जाति प्रमाण पत्र का फायदा उठाकर वे धनोरा गांव के सरपंच भी रह चुके हैं। अब आदिवासी समाज के पदाधिकारी कोण्डागांव कलेक्टर से मिलकर फर्जी जाति प्रमाण पत्र के माध्यम से जनप्रतिनिधि रहते हुए सरपंच बनने पर गहरी नाराजगी जताई है। सामाजिक पदाधिकारी ने उनके विरुद्ध कानूनी कार्रवाई की मांग की है। सर्व आदिवासी समाज ब्लॉक अध्यक्ष फरसू सलाम और अन्य सामाजिक पदाधिकारी आज कोण्डागांव के कलेक्टर कुणाल दुदावत से मुलाकात करने पहुंचे। यहां पहुंचकर उन्होंने कलेक्टर के समक्ष जांच के लिए धन्यवाद ज्ञापित किया। जांच प्रतिवेदन और मांग पत्र सौंपते हुए पदाधिकारियों ने मांग की है कि, प्रशासनिक स्तर पर हुई जांच में यह साबित हो गया है कि, धनोरा गांव के पूर्व सरपंच संतोष उईके फर्जी प्रमाण पत्र के माध्यम से अपने आप को आदिवासी दर्शाते रहे हैं। जबकि उनकी जाति भाट है, जो कि ओबीसी वर्ग में शामिल होती है। प्रशासनिक स्तर पर हुई छानबीन के बाद यह तो सिद्ध हो गया है कि संतोष उईके फर्जी जाति प्रमाण पत्र के माध्यम से स्वयं को आदिवासी कहकर पहले सरपंच पद पर काबिज हो चुके हैं। लेकिन इस महत्वपूर्ण जिम्मेदारी के लिए उन्होंने फर्जी दस्तावेज का इस्तेमाल किया था। ऐसे ही उनके परिवार के अन्य सदस्य भी आदिवासी वर्ग के लिए मिलने वाले शासकीय लाभ का फायदा उठा रहे हैं। जिसकी जांच करते हुए संतोष उईके समेत फर्जी दस्तावेज का उपयोग करने वाले परिवार के अन्य सदस्यों के विरुद्ध कानूनी कार्रवाई की जाए।
बाइट – फरसू सलाम, ब्लॉक अध्यक्ष, सर्व आदिवासी समाज