नेशनल डेस्क: कोरोना वायरस के भारत समेत दुनिया में दस्तक देने के बाद इसके इलाज के लिए अब तक कई वैक्सीन आ चुकी है। वहीं कोरोना के इलाज को लेकर कई और भी दावे किए जा चुके हैं। वहीं अब वैज्ञानिकों ने अजब-गजब दावा किया है। वैज्ञानिकों का कहना है कि अल्कोहल सूंघकर कोरोना संक्रमण से बचाव मिलेगा। यह प्रयोग अमेरिका में किया जा रहा है जिसमें दावा किया जा रहा है कि अल्कोहल सूंघकर कोरोना से राहत मिल सकती है। अमेरिका में फूड एंड ड्र्ग्स एडमिनिस्ट्रेशन (FDA) के सेंटर फॉर ड्रग इवैल्युएशन एंड रिसर्च में यह शोध हो रहा है और यह काफी हद तक आगे बढ़ चुका है। वैज्ञािकों का कहना है कि अगर इस तकनीक के सार्वजनिक इस्तेमाल की मंजूरी मिलती है तो यह अपने आप में मेडिकल क्रांति होगी। वैज्ञानिक शक्ति शर्मा ने अमेरिकी फूड एंड ड्रग्स एडमिनिस्ट्रेशन को इस मामले में पत्र लिखा था जिसके बाद उनको वापस एक खत मिला जिसमें लिखा था कि यह इलाज कोरोना पर कारगर साबित हो रहा है। यानि कि अल्कोहल सूंघकर कोरोना को खत्म किया जा सकता है।
इंटरनेशनल जर्नल ऑफ बेसिक एंड क्लिनिकल फार्मैकोलॉजी में छपे डॉ. सैफुल इस्लाम के रिसर्च के मुताबिक इथाइल अल्कोहल यानि एथेनॉल सूंघने का असर नाक के जरिए फेफड़ों तक होता है। कोरोना नाक के जरिए ही गले और फेफड़ों तक पहुंचता है। अल्कोहल की 65% मात्रा वाले सॉल्यूशन को एस्पिरिन (Aspirin) के साथ सीधे या ऑक्सीजन के जरिए या फिर ऑक्सीजन एआरडीएस तकनीक से नाक के जरिए सांस के साथ फेफड़े तक पहुंचाया जाता है। अंतर्राष्ट्रीय जर्नल फार्मास्यूटीज में प्रकाशित एक रिसर्च रिपोर्ट के मुताबिक सामान्य तापमान पर सूरज की रोशनी से दूर 65% अल्कोहल की मात्रा वाले रसायन को ऑक्सीजन के जरिए 3.6 मिलीग्राम प्रतिमिनट की मात्रा से सांसों में भेजा गया। रिसर्च के मुताबिक रोज करीब 45 मिनट तक यह इलाज कोरोना से गंभीर रूप से संक्रमित मरीजों को दिया गया।
वैज्ञानिकों के मुताबिक कोरोना के कारण मरीजों के फेफड़ों में सूजन आने लगी, सांस लेने में दिक्कत होने लगी लेकिन जब उनको ऑक्सीजन के साथ अल्कोहल की भाप दी गई तो वह नाक से सांस नली और फिर फेफड़ों तक गई। इससे मरीजों के सांस नली, फेफड़े और नाक के भीतर कोविड वायरस की वजह से झिल्लियों में जो सूजन थी वो कम होने लगी इतना ही नहीं मरीज के लिए सांस लेना भी आसान हो गया। मरीज का इम्युनिटी सिस्टम पहले के मुकाबले अच्छे से काम करने लगा। इस प्रयोग से फाइबोलाइट, न्यूट्रोफिल्स के साथ-साथ ल्यूकोसाइट्स पर भी सकारात्मक असर हुआ और मरीज जो काफी गंभीर हालात में था, कुछ ही दिनों में स्वस्थ हो गया। वैज्ञानिकों ने कहा कि रिसर्च के दौरान उन्होंने देखा कि अल्कोहल की भाप का असर कोरोना की उस बाहरी कंटीली प्रोटीन परत पड़ा जिसके जरिए यह महामारी लोगों को अपना शिकार बनाती है।