रायपुर. रायपुर से लोकसभा सांसद सुनील सोनी को प्रदेश सरकार की व्यवस्था पर गुस्सा आ गया। दरअसल सोमवार को डिस्ट्रिक्ट मायनिंग फंड (DMF) को लेकर अहम बैठक रखी गई थी। इस बैठक में सांसद और विधायकों को बुलाया जाता है। मगर सांसद सुनील सोनी को न तो बैठक की कोई जानकारी दी गई न ही उन्हें बुलाया गया। उन्होंने कहा कि देश के राजपत्र (गजट ) में इस बात का उल्लेख है और केंद्र सरकार के भी निर्देश हैं कि बैठक कलेक्टर लेंगे और इसमें सांसद मौजूद रहेंगे। मगर यहां तो जनप्रतिनिधियों के साथ बदसलूकी की जा रही है।
सड़क सुरक्षा समिति से सांसद आउट
सुनील सोनी ने इस मुद्दे पर रायपुर के अपने दफ्तर में मीडिया से बात की। उन्होंने सड़क सुरक्षा समिति की बैठकों का भी जिक्र करते हुए कहा कि मैं इसकी दो बैठकें ले चुका हूं। सड़क सुरक्षा समिति की बैठक सांसद के अध्यक्षता में होगी ये बात 19 दिसंबर 2019 से गजट में है। इस बैठक में विधायक और एक्सपर्ट शामिल होंगे। मुझे अब कलेक्टर ने बताया कि छत्तीसगढ़ की सरकार ने नया आदेश निकाला है। ये आदेश 21 दिसंबर 2020 का है। इसमें कहा गया है कि बैठक कलेक्टर की अध्यक्षता में होगी। अब तो इसमें सांसद और विधायकों का जिक्र ही नहीं है।
केंद्र के बनाए कानूनों को बदला जा रहा है
सांसद सुनील सोनी ने कहा कि यहां राज्य की सरकार अपनी मनमानी कर केंद्र के बनाए कानूनों को बदल रही है। मैं इसकी निंदा करता हूं। जानबूझकर जनप्रतिनिधियों को दूर रखा जा रहा है। इस वजह से केंद्र की कई योजनाओं का फायदा छत्तीसगढ़ को नहीं मिल रहा। स्वशासी चिकित्सा महाविद्यालय की बैठक में राजधानी के वरिष्ठ भाजपा विधायक और पूर्व मंत्री बृजमोहन अग्रवाल को भी दुर्भावनापूर्वक नहीं बुलाया गया था। सांसद सोनी ने कहा कि राज्य की कांग्रेस सरकार लगातार केन्द्र सरकार और कानून की अवहेलना कर रही है। राज्य सरकार का दोहरा मापदंड अशोभनीय भी है। हम शीघ्र ही इन विषयों को केन्द्र सरकार के संज्ञान में लाएंगे।