साल मे एक बार खुलने वाली गुफा, आइए जानते हैं पुरी कहानी …….
-पद चिह्न से होता है भविष्य का आकलन,
-गुफा में विराजित माई लिगेश्वरी निसंतान दंपतियों के लिए बनी वरदान।
कोंडागांव पत्रिका लुक।
बस्तर की खूबसूरत वादिया कुदरती करिशमे से भरे पड़े हैं, चाहे ग्राम आलोर में स्थित लिंगई माई हो या केशकाल में स्थित भंगाराम देवी सबकी अलग-अलग शक्तियां व मान्यताएं है,जो सदियों से यहां निवासरत जनजाति समुदाय के आस्था के केंद्र हैं। फरसगांव से लगभग नौ किलोमीटर दूर ग्राम आलोर झाटीबन में स्थित पहाड़ी पर स्तूपाकार गुफा विद्यमान है। गुफा के अंदर शिवलिंग की आकृति (स्थानी हल्बी बोली में जिसे लिंगई आया) या लिंगेश्वरी माई कहते हैं विराजमान है। जिसके पट वर्ष में एक बार भाद्रपद महीने में खुलता है ,लिंगेश्वरी माई के दर्शन के लिए बेसब्री से भक्तों को इंतजार रहता है।लिंगेश्वरी माई को लेकर मान्यता है कि यहां मन्नत मांगने से संतान सुख की प्राप्ति होती है, जिसके कारण देश के कोने-कोने से निसंतान दंपत्ति माई के दर्शन के लिए पहुंचकर संतान सुख की कामना करते हैं।
पद चिह्न से करते हैं भविष्य का आकलन –
मंदिर समिति पदाधिकारियों ईश्वर कोराम व अन्य के मुताबिक लिंगेश्वरी माता के मंदिर का पट खोलने की तैयारी रात में दो बजे समिति के सदस्य, ग्राम प्रमुख, व पुजारी के द्वारा किया जाता है, पूरे रिति रिवाज से पूजा अर्चना करने बाद गुफा के मुख्यद्वार पर रखे पत्थरो को हटाया जाता, ग्राम के पांच प्रमुख व्यक्ति को गुफा के अंदर जाकर रेत पर बनी चिन्ह बिल्ली, मुर्गी आदि देखकर भविष्य का आकलन करते हैं।
मिला बिल्ली का पद चिन्ह –
बुधवार को गुफा के पट खुलने के बाद रेत पर बिल्ली के पंजे का निशान देखा गया, मंदिर समिति के लोगो का मनाना हैं की इस पद चिन्ह का संकेत हिंसा को दर्शाता है कि इस वर्ष युद्ध या कलह का प्रतीक माना जाता है ।
चढ़ता है खीरे का प्रसाद –
माई लिंगेश्वरी में मनोकामना पूर्ति के लिए पहुंचने वाले निसंतान दंपतियों को पूजन सामग्रियों सहित मान्यता के अनुसार खीरे का प्रसाद चढ़ाना अनिवार्य होता है ,जिसे पुजारी की अनुमति के बाद नाखून से फाड कर दंपत्ति ग्रहण करते हैं।
जगदलपुर निवासी अरुणा शिकरवार ने बताया कि उनके शादी के 17 साल बाद भी संतान का सुख नहीं मिल पाया था लेकिन माता के दर्शन के बाद उनके घर में जुड़वा बच्चों का जन्म हुआ, वही चारामा निवासी लीना पंकज मेश्राम ने बताया की शादी के 10 वर्ष बाद भी संतान सुख की प्राप्ति ना होने से माता के दरबार में पहुंची थी, लिंगेश्वरी माता के दर्शन कर संतान प्राप्ति के लिए मन्नत मांगी जो पूर्ण होने से उनकी खुशी दुगनी हो गई ,उन्हें एक साथ जुड़वा बेटों का सुख प्राप्त हुआ, आज अपने । दोनों दंपत्ति ने अपने जुड़वा बच्चों के साथ माता का आशीर्वाद लेने पहुंचने का दावा किया।
Posted By :Punamdas manikpuri
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