छत्तीसगढ़

ठेकेदार ने निविदा प्रक्रिया पर गंभीर आपत्ति दर्ज करते हुए कलेक्टर से की शिकायत…

कोंडागांव में ठेकेदार ने निविदा प्रक्रिया पर उठाए सवाल, जीएसटी विशेषज्ञ ने भी बताई निविदा शर्तों की खामी

कोण्डागांव। पत्रिका लुक

जिले के सिविल ठेकेदार इंद्रदेव श्रीवास्तव ने जिला निर्माण समिति द्वारा 11 सितंबर 2024 को जारी निविदा प्रक्रिया पर गंभीर आपत्ति दर्ज की है। उन्होंने कलेक्टर एवं अध्यक्ष, जिला निर्माण समिति से निविदा को निरस्त कर निष्पक्ष एवं स्वच्छ निविदा आमंत्रित करने की मांग की है। इस बीच, जीएसटी सलाहकार प्रवीण बडरिया ने भी निविदा में दी गई शर्तों को जीएसटी नियमों के विपरीत बताया है। प्राप्त जानकारी के अनुसार, यह निविदा प्रेमनगर वार्ड के मण्डी चौक से पुराना पुलिस लाइन हेलीपेड ग्राउंड तक सीसी पहुँच मार्ग के निर्माण के लिए थी। ठेकेदार श्रीवास्तव के अनुसार, निविदा की शर्तों में पिछले तीन माह के जी.एस.टी. चुकता प्रमाणपत्र की अनिवार्यता थी, जबकि जी.एस.टी. 3B मासिक या त्रैमासिक आधार पर भरा जा सकता है। श्रीवास्तव त्रैमासिक आधार पर जी.एस.टी. भरते हैं और नियमानुसार उन्होंने अप्रैल, मई और जून 2024 का प्रमाणपत्र प्रस्तुत किया था। हालांकि, निविदा समिति ने उन्हें अपात्र घोषित करते हुए जुलाई 2024 का जी.एस.टी. प्रमाणपत्र न होने का कारण बताया। श्रीवास्तव का कहना है कि त्रैमासिक भुगतान करने वालों के लिए जुलाई, अगस्त और सितंबर 2024 का जी.एस.टी. चुकाने की अंतिम तिथि 15 से 20 अक्टूबर के बीच होती है, ऐसे में यह शर्त उनके लिए पूरी करना संभव नहीं था।

जीएसटी विशेषज्ञ की राय:
इस मामले पर जीएसटी सलाहकार प्रवीण बडरिया ने बताया कि, “जीएसटी नियमों के अनुसार विभाग ने गलत तरीके से टेंडर कॉल किया है। त्रैमासिक जीएसटी रिटर्न भरने वाले ठेकेदार से जुलाई माह का प्रमाणपत्र मांगना नियमों के खिलाफ है। विभाग इंद्रदेव श्रीवास्तव का टेंडर निरस्त नहीं कर सकता। ऐसी स्थिति में बालिक विभाग को खुद ही यह टेंडर निरस्त कर नई और सही शर्तों के साथ पुनः निविदा जारी करनी चाहिए।”

जीएसटी नियम का उल्लंघन:
जीएसटी 3B मासिक और त्रैमासिक आधार पर दाखिल किया जाता है। त्रैमासिक रिटर्न दाखिल करने वाले फर्मों को प्रत्येक तिमाही के बाद 15 से 20 दिनों के भीतर जीएसटी का भुगतान करना होता है। ऐसे में निविदा की शर्तों में जुलाई का जीएसटी प्रमाणपत्र मांगना उन ठेकेदारों के लिए अनुचित है, जो त्रैमासिक रिटर्न दाखिल करते हैं। इस शर्त को पूरा करना निविदा की समय सीमा से पहले संभव नहीं था, जिससे यह निविदा नियमों के विपरीत मानी जा रही है।

श्रीवास्तव ने इसे निविदा प्रक्रिया में हुई लिपिकीय त्रुटि या किसी विशेष व्यक्ति को लाभ पहुँचाने का प्रयास बताया है। उन्होंने कलेक्टर से निविदा को रद्द कर निष्पक्ष प्रक्रिया अपनाने की अपील की है, ताकि सभी ठेकेदारों को समान अवसर मिल सके। जीएसटी विशेषज्ञों की राय से यह मामला और भी गंभीर हो गया है, जिससे प्रशासन पर निविदा को पुनः जारी करने का दबाव बढ़ सकता है।

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