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पूंजीवादी मोदी सरकार की गलत आर्थिक नीतियों और बदइंतजामी से देश की अर्थव्यवस्था बदहाल

रायपुर । छत्तीसगढ़ प्रदेश कांग्रेस कमेटी के प्रवक्ता, सुरेंद्र वर्मा ने कहा है कि केंद्रीय सांख्यिकी और कार्यक्रम क्रियान्वयन मंत्रालय द्वारा ज़ारी जीडीपी (सकल घरेलू उत्पाद) के अंतरिम आंकड़े में वित्त वर्ष 2020-21 में जीडीपी में 7.3 प्रतिशत की गिरावट दर्ज हुई है. जीडीपी ग्रोथ के मामले में भारत एशियाई देशों में नीचे से दूसरे नंबर पर हैं। यही नहीं प्रतिव्यक्ति आय में भी पिछले साल की तुलना में ₹8951/- (-8.24 प्रतिशत ) की बड़ी गिरावट दर्ज की गई है। यहां तक कि बांग्लादेश जैसा देश भी प्रति व्यक्ति आय में भारत से आगे हो चुका हैं राजकोषीय घाटा 9.5 प्रतिशत दर्ज़ हुआ है। मोदी सरकार उक्त चौपट अर्थव्यवस्था का दोष केवल कोरोना महामारी पर मढ़  कर अपनी पूंजीवादी नीतियों और अदूरदर्शितापूर्ण निर्णयों से बच नहीं सकती। सच यह है कि कोरोनाकाल आरंभ होने से पहले ही 2019 में मोदी सरकार की गलत आर्थिक नीतियों के चलते भारत को हंगर इंडेक्स में 9 पॉइंट नीचे पाकिस्तान, नेपाल, और बांग्लादेश से भी खराब हालात में पहुंचा दिया गया था। कॉम्पिटिशन इंडेक्स में भारत 10 पायदान नीचे गिर चुका था। कोर सेक्टर 0.5 प्रतिशत पर और उसमें भी 5 सेक्टर नेगेटिव ग्रोथ की स्थिति में पहुंचा दिया गया था। कामर्शियल फ्लो में 88 प्रतिशत गिरावट आ चुकी थी, लगभग 7 लाख के आंकड़े से घटकर यह 90 हज़ार रह गया था। इंडस्ट्रियल प्रोडक्शन 2019 में ही घटकर -12.1 प्रतिशत पर आ चुका था। नोटबंदी और बिना तैयारी के थोपे गए अव्यवहारिक जीएसटी के कारण विगत 70 साल की सबसे बड़ी क्रेडिट क्राइसिस भी कोरोना महामारी के आने से पहले ही भारत में आ चुकी थी। जिसके लिए पूरी तरह से मोदी सरकार द्धारा अर्थव्यवस्था का कुप्रबंधन, चंद पूंजीपति मित्रों के मुनाफे पर केंद्रित योजनाएं, विशेषज्ञों की सलाह को दरकिनार कर केंद्र का अधिनायकवादी रवैया ही जिम्मेदार है।प्रवक्ता सुरेंद्र वर्मा नेकहा है कि वर्तमान में देश की अर्थव्यवस्था 40 साल पीछे की स्थिती में धकेल दी गई है। लगभग 23 करोड लोग गरीबी रेखा के नीचे पहुंचा दिए गए। अमीरी और गरीबी के बीच चौड़ी होती खाई मोदी सरकार के पूंजीवादी नीतियों का प्रमाण है। एक तरफ जहां देश के 90 प्रतिशत लोगों की आय तेजी से कम हो रही है, वही ब्लूबर्ग बिलियनर्स इंडेक्स के मुताबिक मोदी के दोनों मित्र, अंबानी और अडानी आय के मामले में दुनिया के सभी अमीरों को पीछे छोड़ रहे हैं। एशियाई देशों में अमीरों में यह पहले एवं दूसरे स्थान पर है  मोदी राज में केवल “हम दो और हमारे दो“ के लाभ पर केन्द्रित नीतियां ही संचालित की जा रही है। हमारे देश की अर्थव्यवस्था की तासीर मिश्रित अर्थव्यवस्था है। एक गरीब देश को विकासशील देश से विकसित देश की दिशा में लाने के लिए पिछले 70 सालों में जो सार्थक प्रयास किया गया था, जो संपत्तियां अर्जित की गई थी, मोदी सरकार ने देश के उन संपत्तियों को नवरत्न कम्पनियों को, बैंक, बीमा, रेलवे, एयरपोर्ट, बंदरगाह, खदानो को केवल बेचने का काम किया है। चंद बड़े पूंजीपतियों का लाखों करोड़ का लोन राइट ऑफ किया जा रहा है। किसानों को दी जाने वाली सब्सिडी लगातार घटाई जा रही है। शिक्षा, स्वास्थ्य, लोक कल्याण जैसे सामाजिक विषयों के बजट लगातार घटाए जा रहे हैं। मोदी सरकार की नीतियां पूरी तरह से फेल हो चुकी है और प्रधानमंत्री के रूप में मोदी जी पूरी तरह से फ्लॉप हो चुके हैं।प्रवक्ता सुरेंद्र वर्मा ने कहा है कि मोदी सरकार को वित्तीय प्रबंधन, छत्तीसगढ़ की भूपेश बघेल सरकार से सीखने की जरूरत है। विगत ढाई साल के कार्यकाल में भूपेश बघेल सरकार ने देश के सामने बेहतरीन आर्थिक प्रतिमान स्थापित किया है। रमन सिंह के 15 साल के कुशासन में छत्तीसगढ़ गरीबी रेखा में देश में नंबर वन के स्थान पर पहुंचा दिया गया था और बेरोजगारी में राष्ट्रीय औसत से लगभग दुगुने पर। आज छत्तीसगढ़ में बेरोजगारी दर केंद्रीय दर से आधे से भी कम पर आ गया है। रमन सिंह के काल में कुपोषण, एनीमिया, मलेरिया से होने वाली मौतें,  बढ़ते शिशु और मातृत्व मृत्यु दर छत्तीसगढ़ की पहचान बन चुकी थी। वर्तमान में मुख्यमंत्री सुपोषण अभियान के शानदार परिणाम सामने है। छत्तीसगढ़ की भूपेश बघेल सरकार ने आते ही सबसे पहले कृषि और ग्रामीण अर्थव्यवस्था को बेहतर बनाने के लिए  क्रांतिकारी कदम उठाए। यही कारण है कि जहां एक तरफ देश में विकास के तीनों सेक्टर बुरी तरह से पिछड़ते जा रहे हैं, वहीं छत्तीसगढ़ आज बेहतर स्थिति में है। कृषि विकास दर की बात करें तो जहां राष्ट्रीय औसत 3.4 प्रतिशत है वहीं छत्तीसगढ़ में यह 4. 61 परसेंट की बेहतर स्थिति में है। उद्योग सेक्टर में जहां राष्ट्रीय औसत -9.6 प्रतिशत है वहीं छत्तीसगढ़ -5.28 प्रतिशत अर्थात लगभग 4.5 परसेंट बेहतर स्थिति में है। सेवा के क्षेत्र में जहां राष्ट्रीय विकास दर -8.8 प्रतिशत है वहीं छत्तीसगढ़ में यह 9.30 पर्सेंट अधिक याने 0.75 प्रतिशत है। ऑटोमोबाइल, कपड़ा, सराफा, स्टील, सीमेंट सहित तमाम उद्योग और व्यवसाय छत्तीसगढ़ में फल फूल रहे हैं। भूपेश बघेल सरकार के कुशल वित्तीय प्रबंधन और वित्तीय अनुशासन का ही परिणाम है कि प्रति व्यक्ति आय में जहां राष्ट्रीय स्तर पर 5.14 परसेंट की गिरावट हुई है वही ये गिरावट छत्तीसगढ़ में केवल 0.14 प्रतिशत है। छत्तीसगढ़ में लगभग 76 प्रतिशत जनता ग्रामीण क्षेत्रों में निवास करती है जो मुख्यतः कृषि, बागवानी, पशुपालन, लघु वनोपाजो के संग्रहण और प्रोसेसिंग के साथ ही लघु उद्योगों के माध्यम से आय अर्जित करता है। भूपेश बघेल सरकार का पूरा फोकस गांव, गरीब, किसान, आदिवासी,  महिला,  युवा, बच्चों और गोपालकों पर केंद्रित है। अधिक से अधिक फसलों को समर्थन मूल्य पर खरीदने, राजीव गांधी किसान न्याय योजना, गोधन न्याय योजना, 7 से बढ़ाकर 52 वनोपजों की खरीदी किए जाने जैसे जनहितकारी फैसलों से आम लोगों के खातों में सीधे पैसे डाल कर अर्थव्यवस्था में तरलता की व्यवस्था की है, उसी का परिणाम है कि तमाम चुनौतियों के बीच प्रत्येक मोर्चे पर छत्तीसगढ़ आज बेहतर स्थिति में खड़ा है। विदित हो कि सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकोनॉमी द्वारा 24 मई 2021 को जारी किए गए आंकड़ों के मुताबिक छत्तीसगढ़ में बेरोजगारी दर मात्र 3 प्रतिशत दर्ज की गई है, जो कि राष्ट्रीय बेरोजगारी दर 10.03 प्रतिशत की तुलना में बहुत ही कम है। छत्तीसगढ़ सरकार ने अपने फैसलों से प्रमाणित किया है कि लोकतांत्रिक समाजवाद और मिश्रित अर्थव्यवस्था ही देश के आर्थिक स्वास्थ्य के लिए लाभकारी और आवश्यक भी है। वहीं दूसरी ओर मोदी सरकार के पूंजीवादी नीतियों और अधिनायकवादी रवैये ने देश की अर्थव्यवस्था को बदहाल स्थिती में ला दिया है। भाजपा की इन अधिनायकवादी, पूंजीवादी, स्वार्थी अर्थिक नीतियों को देश की जनता कभी स्वीकार नहीं करेंगी।

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