छत्तीसगढ़

समय का च्रक ने सरकारे बदली अधिकारी बदले पर नहीं बदली सरकारी व्यवस्था, आज भी बूंद बूंद पानी के लिए मोहताज आदिवासी ग्रामीण

कोंडागांव। जहा एक ओर केंद्र व राज्य सरकारे मुलभूत सुविधाएं अंतिम व्यक्ति तक पहुंचने की बात करती हैं पर कोंडागांव जिले के अति संवेदनशील इलाके में मुलभूत सुविधाएं उपलब्ध कराने में प्रशासन नाकाम हैं। आज भी आदिवासी समुदाय के लोग जमीन से बूंद-बूंद रिश्ता पानी को जमा करने के बाद पानी पीने के लिए ले जाने को मजबूर हैं।

गढ्ढे में बूंद -बूंद पानी जमा होने के बाद ग्रामीण पानी निकालते हुए

आपको बतादें की कोंडागांव जिला में नलजल योजनाओं के नाम पर केंद्र व राज्य सरकारें अरबों खरबों रुपये खर्च कर रही हैं पर इस योजना का फायदा तथाकथित ठेकेदार व अधिकारी उठा रहे हैं। ऐसा ही एक नजारा कोंडागांव जिला व जनपद पंचायत कोंडागांव अंतर्गत आने वाला ग्राम पंचायत लखापुरी का आश्रित ग्राम एहराबुसा के दो पारा है पारावासी पानी भरने आते हैं। ग्रामीणों का कहना है कि चट्टान पास जमीन खोदा गया है जहां से पानी रिश्ता हैं ओर उस जमा पानी हो जाता है जिसको दोनों पारावसी अलग अलग अलग समय में पानी भरने अपने व अपने परिवार की प्यास बुझाने को मजबूर के लिए लेने आते हैं।

इसी गढ्ढे के पानी के भरोसे आदिवासी ग्रामीण

आपको बतादे की इस आश्रित ग्राम में लगभग 70 आदिवासी समुदाय के लोग निवासरत है,जो घर से एक किलोमीटर दूर स्थिति झरिया से पानी ला कर अपने परिवार का प्यास बुझा रहे है। साथ ही नहाने व अन्य काम के लिए दूसरे स्थान पर जाते है।
वही कुछ अन्य लोगों के द्वारा बूंद- बूंद जमा पानी को भी रात में चोरी कर ले जाते हैं।

कतार में पानी ले जाते आदिवासी ग्रामीण

वार्ड वासियों ने बताया कि बोर खनन व शुद्ध पानी के लिए ग्राम पंचायत लखापुरी को कई बार आवेदन भी दिया हैं साथ ही विधायक चंदन कश्यप को भी कई बार हेण्डपम्प खनन के लिए कह चुके हैं ।लेकिन लगातार सरकारे बदलती रही पर आज भी हम ग्रामीणों को शुद्ध पानी नसीब नहीं हो रहा।

इस लिए कहते हैं कि समय का च्रक बहुत प्रभावशाली है क्योंकि कब किसकी सरकारे बदल देगी और कब किसकी सरकारे गिरा देगी, इसी समय च्रक में अधिकारी बदल जाते हैं पर नहीं बदली सरकारी व्यवस्था। क्या मजबूरी है सरकारी व्यवस्था की ? क्यों नहीं सुधार हो रहा सरकारी व्यवस्था में? क्या आम आदमी को मूलभूत आवश्यकताओं का हक नहीं? शायद इसी लिए आज भी बूंद-बूंद पानी के लिए मोहताज हैं आदिवासी ग्रामीण।

Patrika Look

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