जगदलपुर। पर्यटन के कारण आमतौर पर क्षेत्र में रोजगार का सृजन तो हो जाता है, किन्तु पर्यटकों की अत्यधिक आवाजाही के कारण पर्यावरण पर पड़ने वाले विपरीत प्रभावों को भी नजर अंदाज नहीं किया जा सकता। ऐसी परिस्थितियों में बस्तर में पर्यटन स्थानीय युवाओं को रोजगार के साथ ही यहां के पर्यावरण के संरक्षण में भी सहयोग करें, तो इससे बड़ी क्या बात होगी।
बस्तर की प्राकृतिक सौंदर्य को बचाने के साथ ही अधिक से अधिक हरियाली लाने के लिए पर्यटकों को बीजा लड्डू के उपयोग के लिए प्रेरित किया जाएगा। कोरोना ने मानवजाति को यह समझाने की कोशिश की है कि प्रकृति एवं पर्यावरण से छेड़-छाड़ कितनी घातक हो सकती है। आज जलवायु में बड़े परिवर्तन की वजह से मानव जीवन अस्त-व्यस्त सा हो गया है।
ऐसे में यह जरूरी है कि प्रकृति पर्यावरण को सहजने, संवारने और बढ़ाने की मुहिमों को युद्धस्तर पर जारी रखा जाये साथ ही पर्यावरण संरक्षण की आदत लोगों के जीवनशैली में शामिल हो। इसी तथ्य को ध्यान में रखते हुए ग्राम लेंड्रा, चित्रकूट और तीरथगढ़ के स्व सहायता समूह की महिलाएं गोठनों में इन दिनों गाय के गोबर से बीजा लड्डू (बीजा लाडू) जिसे प्रचलित भाषा मे सीड बॉल कहा जाता है, बनाने में जुटी हुई हैं।
स्थानीय संस्था एपीएस और पंखुड़ी सेवा समिति के माध्यम से महिलाओं को प्रशिक्षण एवं सीड बॉल निर्माण का कार्य करवाया जा रहा हैं। कोरोना काल में महिलाओं के आर्थिक सशक्तिकरण हेतु यह स्वयं सेवी संस्थायें निश्शुल्क अपनी सेवाएं दे रही है। बीजा लड्डू को किसी भी खाली अथवा बंजर जमीन या जंगल पर फेंका जा सकता है और इसके लिए जंगल के अंदर जाना भी जरूरी नहीं होता।
सड़क से ही या गुलेल अथवा हाथ से फेंका जा सकता है। यह तरीका इसलिए भी कारगर साबित हो रहा है, क्योंकि इससे पेड़ उगाने पर होने वाला खर्च आधे से भी कम हो जाता है। इन सीड बॉल्स के बनाने में गाय के गोबर, बीज और मिट्टी के सही अनुपात का इस्तेमाल किया जा रहा है। जैसे ही बारिश या नमी इन पर पड़ती है, ये अंकुरित होना शुरू हो जाते हैं। धीरे-धीरे बंजर लग रही जमीन भी ऊंचे-ऊंचे पेड़ों से हरी-भरी हो जाती है। ये प्रयोग काफी सफल रहा है।
जिला पंचायत के मुख्य कार्यपालन अधिकारी इंद्रजीत चंद्रावल ने बताया कि बस्तर जिला में प्रतिवर्ष लाखों की संख्या में देश-दुनिया के पर्यटक आते हैं। हमारी कोशिश यह है कि महिलाओं द्वारा बनाये जा रहे बीजा लड्डू पर्यटकों के लिये भी आसानी से उपलब्ध हों, जिससे सड़क मार्ग से जाने वाले पर्यटक यात्रा के दौरान सड़कों के किनारों पर खाली-बंजर स्थानों पर इन सीड बालों को फेंक कर पौध रोपण में अपनी सहभागिता दे पाएंगे और पर्यावरण के प्रति अपनी जिम्मेदारी को भी निभा पाएंगे।