आदिवासियों की चिंता…
रायपुर। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने सकारात्मक दृष्टिकोण अपनाते हुए बस्तर क्षेत्र में आदिवास समाज को सक्षम बनाने के लिए सर्व आदिवासी समाज के प्रतिनिधियों से सहयोग मांगा है। क्षेत्र के विकास में बाधक बने नक्सलियों से हृदय-परिवर्तन की उम्मीद तो नहीं की जा सकती, परंतु सभ्य समाज के प्रतिनिधि और सरकार के मुखिया के तौर पर वार्ता से समस्या समाधान का अवसर सृजित करने की हर संभव कोशिश करना मुख्यमंत्री की जिम्मेदारी है।
नक्सल समस्या के समाधान के लिए संविधान में आस्था रखने वाले हर व्यक्ति को चर्चा का खुला निमंत्रण देकर मुख्यमंत्री ने मजबूत लोकतांत्रिक व्यवस्था को मजबूती देने का काम किया है। इसमें दो राय नहीं है कि प्राकृतिक संसाधनों से भरपूर बस्तर को नक्सलवाद के नाम पर हिंसक आंदोलन ने काफी पिछड़ा क्षेत्र बना दिया है।
नक्सलियों ने कुछ युवाओं को भ्रमित कर पूरे समाज को विकास की मुख्यधारा से दूर करने में सफलता पाई थी, परंतु केंद्र और राज्य सरकार के प्रयास से उनका प्रभाव लगातार सिमटता जा रहा है। पड़ोसी राज्यों के भगोड़े नक्सल नेताओं के लिए पूरा क्षेत्र वसूली का बाजार बन गया है, जहां गरीब से गरीब व्यक्ति को प्रताड़ित किया जाता है।
सुदूर क्षेत्रों में रह रहे आदिवासी खौफ के कारण विरोध में आवाज भी नहीं उठा पाते। यह बड़ी समस्या है कि नक्सलियों के दबाव में आदिवासी उस जमीन का पट्टा भी नहीं ले रहे हैं, जिन पर वे काबिज हैं। इसके दुष्परिणाम स्वरूप उन्हें शासकीय योजनाओं का लाभ नहीं मिल पा रहा है। बस्तर में शांति प्रक्रिया को आगे बढ़ाने और विकास को गति देने के लिए यह जरूरी है कि क्षेत्र से नक्सलियों की विचारधारा का समूल सफाया कर दिया जाए।
हाल के दिनों में बड़ी संख्या में नक्सलियों ने आत्मसर्पण किया है और वह नए कैडर की भर्ती भी नहीं कर पा रहे हैं। नक्सलियों के कई बड़े नेता कोरोना की चपेट में आ चुके हैं। जवानों के हौसले बुलंद हैं और अंदरूनी क्षेत्रों में सड़कों के विस्तार के साथ कैंप बढ़ते जा रहे हैं।
इसकी वजह से नक्सली नेताओं की बेचैनी बढ़ती जा रही है और ग्रामीणों पर दवाब बनाकर आंदोलन के लिए मजबूर कर रहे हैं। यही वह अवसर है, जब पूरी मजबूती के साथ क्षेत्र के लोगों को साथ में जोड़ते हुए नक्सल समस्या का समाधान कर विकास को गति दी जा सकती है।
मुख्यमंत्री यह स्पष्ट कर चुके हैं कि जनजाति बहुल क्षेत्रों के विकास के लिए धन की कोई कमी नहीं है। युवाओं के माध्यम से विकास के कार्य कराने की योजनाओं को कार्यान्वित करना होगा। इससे क्षेत्र में रोजगार के नए अवसर भी सृजित होंगे। उम्मीद की जानी चाहिए कि जनजातीय सलाहकार परिषद की जल्द से जल्द बैठक बुलाकर प्रदेश सरकार आदिवासियों को सक्षम बनाने की दिशा में ठोस कदम उठाने में सफल रहेगी।