जनजाति सुरक्षा मंच के बैनर तले मतांतरिक व्यक्तियों को अनुसूचित जनजाति की सूची से बाहर करने भरी हुंकार
कोंडागांव पत्रिका लुक।
कोंडागांव के चौपाटी मैदान में गुरुवार को डीलिस्टिंग को लेकर वृहद जनसभा सह महारैली का आयोजन किया गया। बड़ी तादाद में डीलिस्टिंग महारैली में जनजाति समुदाय के लोगोंं ने बढ़ चढ़कर हिस्सा लिया। मुख्य कार्यक्रम स्थल चौपाटी मैदान से डीलिस्टिंग की मांग को लेकर नारेबाजी करते विशाल रैली महात्मामा गांधी स्कूल प्रांगण तक पहुंची।
इस दौरान पूर्व विधायक जनजाति सुरक्षा मंच के संयोजक भोजराज नाग, डॉ एच के नागू अधिवक्ता तेलगाना हाई कोर्ट हैदराबाद , भाजपा प्रदेश उपाध्यक्ष सुश्री लता उसेंडी पूर्व मंत्री केदार कश्यप ,विधायक केशकाल सेवकराम नेताम व बड़ी संख्या समुदाय के लोग शामिल रहे।
जनजाति सुरक्षा मंच के संयोजक भोजराज नाग पत्रकारो को संबोधित करते काहा अनुच्छेद 341 में अनुसूचित जाति का व्यक्ति यदि धर्म परिवर्तन करता है तो उसको आरक्षण का लाभ नहीं मिलता ,अनुच्छेद 342 में यह प्रावधान नहीं है इसीलिए अनुच्छेद 342 में भी हम मांग करते हैं कि यह प्रावधान लागू हो। पूरे देश के लगभग 20% लोग धर्म परिवर्तन करके जनजाति रीति रवाज और परंपरा को नहीं मान रहे।मतांतरण के कारण गांव गांव में तनाव की स्थिति भी पैदा हो रही, तनावपूर्ण स्थिति उत्पन्न ना हो जिसे लेकर निश्चित रूप से हमारे समाज के सभी लोगों के द्वारा समझाया जा रहा जो भी व्यक्ति धर्म परिवर्तन किए है या मूल धर्म से भ्रमित हो चुके हैं वे लोग मूल धर्म में वापस आएं हमारे धर्म व संस्कृति से जुड़े हमारे पुरातन परंपरा से जुड़े ।
डॉ एच के नागू अधिवक्ता तेलगाना हाई कोर्ट हैदराबाद, संरक्षक मंडल केंद्रीय जनजाति सुरक्षा मंच के मुताबिक जनजाति सुरक्षा मंच का एक ही मांग है कि डीलिस्टिंग होना , क्योंकि कुछ आदिवासी धर्मांतरण कर आरक्षण का बेनिफिट लेते जा रहे हैं और हमें जनजाति रहते हुए भी कुछ नहीं मिल रहा है ,इसलिए जो कन्वर्ट हो गए वह 20% होते हुए भी 80% का आरक्षण बेनिफिट ले रहे। वे लोग उनकी संस्कृति परंपरा को भूल रहे हैं , उल्टा हमें ही बैकवर्ड या जंगल पर रहने वाले लोग कहते हैं ,इसलिए हमारा एक ही मांग है जो भी कन्वर्ट होता है उन्हें डीलिस्टिंग किया जाए ,
केरला स्टेट वर्सेस चंद्रमोहन केस में सुप्रीम कोर्ट ने कहा किसी ने जनजाति का धर्म हो या संस्कृति परंपरा छोड़कर दूसरे दिलीजन में कन्वर्ट होता है उन्हें शेड्यूल ट्राइव नहीं कहना चाहिए, इस पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कानून नहीं है,इसीलिए पार्लियामेंट में बिल लाने के लिए कानून बनाने की मांग कर रहे।
लता उसेंडी प्रदेश उपाध्यक्ष भजपा ने कहा कि आज पूरे देश में जनजाति सुरक्षा मंचके बैनर तले डीलिस्टिंग के लिए आंदोलन किया जा रहा हैं। जो लोग जनजातीय मतों को नहीं मानते हैं डीलिस्टिंग किया जाए। जनजाति सुरक्षा मंचके द्वारा जो मांग की जा रही है सही है।
मंच का मत है राजनीतिक दल अनुसूचित जनजातियों के लिए आरक्षित सीट पर मतांतरिक व्यक्तियों को टिकट ना दे ,जनजाति वर्ग के लिए आरक्षित सरकारी नौकरियों को हथियाने वाले गलत एवं षड्यंत्र कारी व्यक्तियों को बेनकाब करें ,फर्जी जाति प्रमाण पत्र पर अनुसूचित जनजाति बने व्यक्तियों को पहचानकर अनुसूचित जनजाति के सूची से हटाए जाने आदि कई बिंदु शामिल है।