छत्तीसगढ़

कलेक्टर के आदेश के बाद पशु विभाग पहुंचा कड़ेनार, लगाया पशु चिकित्सा एवं जागरूकता शिविर

कलेक्टर के आदेश के बाद जगा पशु विभाग कोंडागांव

कोंडागांव। आजादी के बाद पहली बार पहुंचा जिला मुख्यालय से 50 किलोमीटर अतिसंवेदनशील क्षेत्र ग्राम कड़ेनार में पशु विभाग लगाया शिविर। आपको बतादे कि बारिश के बाद ग्रामीण क्षेत्रों में पशु पालक पशुओं को होने वाली बीमारी से परेशान हो रहे हैं वही पशु विभाग अपनी फर्ज निभाने में नाकाम हो रही हैं। पर जागरूक व सामाजिक कार्यकर्ताओं के द्वारा समय समय पर आवेदन व मौखिक जानकारी देकर बेजुबान मवेशियों का इलाज करने के लिए तत्पर्य रहते हैं। पशु विभाग के द्वारा मैदानी क्षेत्रों में जाकर पशुओं का इलाज कर दिया जाता है पर संवेदनशील क्षेत्रों में पशु विभाग नही जाते हैं। वही एक सामाजिक कार्यकर्ता के द्वारा कलेक्टर को आवेदन व निवेदन किया गया कि अतिसंवेदनशील क्षेत्र कडेनार व आस पास के क्षेत्रों में मवेशियों को बीमारियां होने लगी हैं इसका इलाज कराना अतिआवश्यक हैं।

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कलेक्टर पुष्पेंद्र मीणा ने सामाजिक कार्यकर्ता के आवेदन पर संज्ञान लेते हुए तत्काल पशु विभाग को निर्देशित किया गया। जिसपर पशु विभाग के अधिकारी कर्मचारियों की टीम गठित कर अतिसंवेदनशील क्षेत्र कडेनार पहुंच कर पशु चिकित्सा शिविर लगाया गया। इस शिविर में कड़ेनार के अतिरिक्त समीपस्थ ग्राम पंचायतों जैसे किलम, टेटम, कोहकामेटा, मदोड़ा ग्रामों से आये 75 पशु पालको के 1017 पशुओं का उपचार एवं औषधि वितरण करने के साथ 90 पशुओं का टीकाकरण कर टैगिंग हेतु चिन्हांकित भी किया गया है। इसके अलावा बीमार पशुओं का सैंपल संग्रहित कर जांच हेतु राज्य स्तरीय रोग अन्वेषण प्रयोगशाला रायपुर भेजा गया है।

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पीठ थपथपाना रहा विभाग

वही सूत्र बताते हैं कि पशु विभाग शिविर का आयोजन लगा कर अपना पीठ थपथपाती रही हैं। पीठ थपथपाना अच्छी बात है अगर विभाग अपने कर्तव्य का पालन स्यंम करती ना की किसी के आदेश पर । कलेक्टर के आदेश के बाद कडेनार में पशु चिकित्सा शिविर का आयोजन हुआ जिस पर ग्राम के ग्रामीणों ने कलेक्टर को धन्यवाद ज्ञापित किया हैं।

जागरूक रहे

जब तक आप ओर हम सभी जांगेंगे नहीं तब तक सरकारी विभाग जांगेंगे नहीं। कलेक्टर महोदय तो सभी स्थान नहीं पहुंच सकते इसलिए अन्य विभागों को इसका दायित्व सौपा गया हैं। वही कुछ विभागों के द्वारा अपने कर्तव्य का पालन सही तरीके से नहीं करते हैं। ग्रामीणों व समाजिक कार्यकर्ताओं के द्वारा जानकारी कलेक्टर को दी जाती है तब विभाग आनन फानन में पहुंच कर अपने कर्तव्य का पालन करता हैं।

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