छह पीढ़ी से महिलाएं कर रहीं एक ही वट वृक्ष की पूजा
रायपुर। पुरानी बस्ती के टुरी हटरी इलाके में राजधानी का 200 साल पुराना वट वृक्ष श्रद्धा एवं आस्था का केंद्र है। इलाके वासी बताते हैं कि उनके परिवार की पांच-छह पीढि़यां वृक्ष के नीचे पूजा कर चुकीं हैं। कहा जाता है कि यह राजधानी का सबसे पुराना वट वृक्ष है, करीब तीन हजार वर्गफीट क्षेत्र में फैले इस वृक्ष से आसपास के 300 से अधिक परिवारों को ठंडक और शुद्ध ऑक्सीजन की प्राप्ति होती है।
तापमान जब 40-45 डिग्री पर पहुंचता है, तब भी इस वृक्ष के आस-पास के घरों में ठंडक का अहसास होता है। हर साल ज्येष्ठ अमावस्या तिथि पर पति की लंबी आयु और परिवार की खुशहाली की कामना करने सुबह से दोपहर तक हजारों सुहागिनें उमड़ती हैं। ऐतिहासिक वृक्ष होने के कारण दूर-दूर से महिलाएं पूजा करने आती हैं।
दादी सासु के बाद अब बहू कर रहीं पूजा
65 वर्षीय महिला अहिल्या बाई ने बताया कि वे जब 18 साल की थीं, तब उनका विवाह हुआ था। पिछले 42 सालों से वे लगातार हर साल वट वृक्ष की पूजा कर रहीं हैं। शुरुआती दौर में वे अपनी सासु मां शकुन बाई के साथ पूजा करतीं थीं। उनकी सासु शकुन बाई ने उन्हें बताया था कि वे अपनी सासु मां और दादी सासु के साथ पूजा करतीं थीं। अब मैं और मेरी बहू एक साथ कई सालों से पूजा कर रहीं हैं। साथ ही मेरी दो ननद और उनकी तीन बहुएं भी पूजा करतीं हैं।
दादी-नानी सासु के साथ कर चुकीं पूजा
मैथिलपारा निवासी 55 वर्षीय पूनम झा ने बताया कि वे 35 साल से टुरी हटरी के प्राचीन वट वृक्ष के नीचे पूजा jकर रहीं हैं। वे अपनी सासु मां स्व.गुलाब बाई और दादी सासु स्व.बसंतवती तथा नानी सासु स्व.इष्टवती देवी के साथ पूजा कर चुकीं हैं। मेरे देखते हुए चार पीढ़ी इस ऐतिहासिक वृक्ष के नीचे मन्नत मांग चुकीं हैं।
सास-बहु की अनेक जोड़ी
पंकज गार्डन के समीप रहने वाली उषा झा ने बताया कि उनकी शादी को 35 साल हो गए, अपनी सास प्रियंवदा झा के साथ उन्होंने कई साल तक पूजा की। उनके साथ पड़ोस में ऐसी अनेक सास-बहु, नानी सास, ननद आदि की जोडि़यां हैं, जो तीन-चार पीढि़यों से लगातार पूजा कर रहीं हैं। महंत लक्ष्मीनारायण दास वार्ड, बनियापारा निवासी श्रीमती ऋतु ने बताया कि वे अपनी सासु मां सुशीला देवी के साथ पिछले 15 साल से पूजा कर रहीं हैं। हमारे साथ मोहल्ले के अनेक परिवार ऐसे हैं, जिनमें सासु, दादी सासु, नानी सासु, ननद भी पूजा करने आते हैं।