इस बार लोहड़ी में कृषि कानूनों की कॉपियां जलाएंगे किसान, 6-20 जनवरी के बीच बड़े आंदोलन की तैयारी
केंद्र सरकार के तीन कृषि कानूनों के खिलाफ दिल्ली बॉर्डरों पर जारी किसान आंदोलन के 37 दिन पूरे हो गये हैं, लेकिन अब तक सरकार के साथ गतिरोध जारी है. हालांकि चार में से दो प्रस्ताव पर दोनों पक्षों में सहमति बन चुकी है. कृषि कानून और एमएसपी पर अब भी बात अटकर हुई है. इधर नये साल में किसानों ने प्रदर्शन को और बढ़ाने की चेतावनी दी है.भारतीय किसान यूनियन के प्रमुख हरमीत सिंह ने बताया कि 13 जनवरी को हम कृषि कानूनों की कॉपियां जलाकर लोहड़ी के त्योहार को मनाएंगे. 6-20 जनवरी के बीच देशभर में किसानों के पक्ष में धरना-प्रदर्शन, मार्च आदि आयोजित किये जाएंगे. 23 जनवरी को आजाद हिन्द किसान दिवस मनाया जाएगा.
सिंधू सीमा पर प्रदर्शन कर रहे किसान नेता ओंकार सिंह ने कहा, विरोध प्रदर्शन का आज 37 वां दिन है, सरकार को अपनी जिद छोड़ देनी चाहिए. जब तक कानूनों को वापस नहीं लिया जाता, हम वापस नहीं जाएंगे. यह निराशाजनक है कि किसान अपनी जान गंवा रहे हैं. कई किसान ठंड से जूझ रहे हैं, लेकिन सरकार इसे गंभीरता से नहीं ले रही है.
किसान नेता हरमीत सिंह कादियान ने कहा, हम सरकार के साथ कल की बैठक में 3 कृषि कानूनों को निरस्त करने की मांग करेंगे. वहीं दिल्ली में सिंघू बॉर्डर पर प्रदर्शन कर रहे किसान नेता मंजीत सिंह राय ने कहा, आज संगरूर में किसानों पर लाठीचार्ज किया गया. हम इसकी निंदा करते है. हम पंजाब सरकार को अवगत कराते हैं कि आपने अगर किसानों पर लाठीचार्ज बंद नहीं किए तो उनके खिलाफ पंजाब में मोर्चा खोला जाएगा.
गौरतलब है कि केंद्र सरकार के तीन कृषि कानूनों के खिलाफ देशभर के 40 से अधिक किसान संगठनों का विरोध प्रदर्शन लगातार 37वें दिन भी जारी है. किसान कानूनों को रद्द करने की अपनी मांग पर अड़े हैं. जबकि सरकार ने साफ कर दिया है कि कानूनों वापस नहीं ली जाएगी.
हालांकि इसपर संशोधन के लिए नरेंद्र मोदी सरकार तैयार हो गयी है. किसानों और सरकार के बीच 8वें दौर की बातचीत होगी. इससे पहले 30 दिसंबर को किसानों और सरकार के बीच बातचीत हुई थी जिसमें दो मुद्दों पर सहमति बन गयी थी, लेकिन कृषि कानूनों और एमएसपी पर 4 जनवरी की बैठक में चर्चा होगी. 4 जनवरी की बैठक काफी अहम माना जा रहा है. इधर किसानों ने साफ कर दिया है कि जबतक कृषि कानूनों को सरकार वापस नहीं लेती है, तबतक वो बॉर्डरों से नहीं हटेंगे.