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कोरोना रोगियों में डीएनए टेस्ट से हो सकेगी न्यूमोनिया की पहचान, ज्यादा सटीक है जांच की यह विधि

लंदन। शोधकर्ताओं ने कोरोना वायरस (COVID-19) से गंभीर रूप से पीड़ित लोगों में न्यूमोनिया की पहचान के लिए एक डीएनए टेस्ट विकसित किया है। जांच की इस विधि के जरिये गंभीर रूप से संक्रमित लोगों में शीघ्रता के साथ न्यूमोनिया का पता लगाया जा सकता है। ऐसे मरीजों में न्यूमोनिया संक्रमण का दोगुना ज्यादा खतरा रहता है।

कोरोना से गंभीर रूप से संक्रमित लोगों को वेंटीलेटर पर रखा जाता है और डॉक्टर फेफड़ों में संक्रमण के इलाज के लिए एंटी-इंफ्लेमेटोरी थेरेपी का इस्तेमाल करते हैं। हालांकि ऐसे मरीजों में बैक्टीरिया से दूसरे संक्रमण का भी खतरा रहता है।

ब्रिटेन की यूनिवर्सिटी ऑफ कैंब्रिज के शोधकर्ता एंड्रयू कॉनवे मॉरिस ने कहा, ‘महामारी के प्रारंभिक दौर में हमने इस बात पर ध्यान दिया कि कई कोरोना पीड़ितों में दूसरे संक्रमण के तौर पर खासतौर से न्यूमोनिया का खतरा बढ़ रहा है। इसके बाद हमने एक रैपिड डाइग्नोस्टिक टेस्ट का इस्तेमाल करना शुरू किया, जिसे हमने महज इस स्थिति से निपटने के लिए तैयार किया था।’

उन्होंने बताया, ‘इस टेस्ट के इस्तेमाल से हमने कोरोना मरीजों में दूसरे संक्रमण के तौर पर न्यूमोनिया का खतरा दोगुना ज्यादा पाया।’ शोधकर्ताओं के मुताबिक, ऐसे मामलों में न्यूमोनिया की पुष्टि करना चुनौतीपूर्ण काम है, क्योंकि रोगी के बैक्टीरिया नमूनों को लैब में विकसित करने की जरूरत पड़ती है। यह समय लेने वाली प्रक्रिया है।

क्रिटिकल केयर पत्रिका में प्रकाशित अध्ययन में बताया गया है कि नए टेस्ट में विविध प्रकार के रोगाणुओं के डीएनए का पता लगाने का तरीका अपनाया गया है। जांच की यह विधि बेहद तेज और ज्यादा सटीक है।

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