छत्तीसगढ़

नारायणपुर और दंतेवाड़ा के गौठान समितियों व महिला समूहों ने किया गौठानों का भ्रमण

दोनों जिलों के 25-25 प्रतिनिधि आए हैं रायपुर और दुर्ग के गौठानों एवं मल्टी-यूटिलिटी सेंटर्स के अध्ययन भ्रमण पर

रायपुर। प्रदेश के मध्य क्षेत्र के विकसित गौठानों और मल्टी-यूटिलिटी सेंटर्स के अध्ययन भ्रमण पर आए नारायणपुर एवं दंतेवाड़ा के गौठान समितियों व स्वसहायता समूहों के सदस्यों ने आज दुर्ग जिले के पाटन विकासखंड के सिकोला, केसरा, बोरेन्दा, कौही और कुर्मीगुंडरा गौठान का अवलोकन किया। उन्होंने वहां गौठान समितियों एवं विभिन्न आजीविकामूलक गतिविधियों में संलग्न स्वसहायता समूहों से चर्चा कर इनके संचालन एवं प्रबंधन के गुर जानें। उन्होंने बोरेंदा में सोलर सामुदायिक उद्वहन सिंचाई और सिकोला में नरवा संवर्धन कार्यों को भी देखा।
नरवा, गरवा, घुरवा, बारी कार्यक्रम के अंतर्गत सिकोला नाला को पुनर्जीवित कर इसके साथ लगे छह एकड़ जमीन में मार्च के महीने में भी चारागाह, बाड़ी और मछलीपालन जैसी गतिविधि सफलतापूर्वक संचालित की जा रही है। दो दिनों के प्रवास पर पहुंचे नारायणपुर के दल का आज अध्ययन भ्रमण का पहला और दंतेवाड़ा के दल का दूसरा दिन है। नारायणपुर के प्रतिनिधि 19 मार्च को रायपुर जिले के बैहार गौठान, सेरीखेड़ी मल्टी-यूटिलिटी सेंटर और इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय में कृषि संग्रहालय का भ्रमण करेंगे।
दोनों जिलों के प्रतिनिधियों ने गौठानों में पंचायत एवं ग्रामीण विकास, कृषि, पशुधन विकास, उद्यानिकी, क्रेडा, मनरेगा एवं स्थानीय गौठान समिति और महिला स्वसहायता समूह द्वारा विकसित स्वरोजगार की विभिन्न गतिविधियों को नजदीक से देखा और जाना-समझा। उन्होंने गौठानों में गोबर खरीदी, पशुधन एवं चारा व्यवस्था, चारागाह विकास, सामुदायिक बाड़ी, मछली पालन, कुक्कुट पालन, मशरूम उत्पादन, केंचुआ उत्पादन, वर्मी कंपोस्ट निर्माण और मिनी राइस-मिल के बारे में इनके संचालन से जुड़ी महिलाओं से जानकारी लीं। स्थानीय स्वसहायता समूहों की महिलाओं ने दंतेवाड़ा और नारायणपुर के प्रतिनिधियों को अपनी सामुदायिक बाड़ी में उगाए पपीता, ककड़ी, कुम्हड़ा, चेंच भाजी और अमारी भाजी भेंट किया। केसरा में दोनों जिलों के प्रतिनिधियों को दोपहर के भोजन के दौरान वहां की सामुदायिक बाड़ी में उत्पादित जैविक सब्जियां खिलाई गईं।
बस्तर क्षेत्र के ग्रामीणों को कृषि गतिविधियों में नवाचार अपनाने, गोधन न्याय योजना को बेहतर ढंग से समझाने तथा उन्नत कृषि को अपनाने के लिए प्रेरित करने मैदानी क्षेत्रों के गौठानों का अध्ययन भ्रमण कराया जा रहा है। इस दौरान वे गौठानों को आजीविका केंद्रों के रूप में विकसित करने की संभावनाओं और इसके लिए जरूरी संसाधनों से रू-ब-रू हो रहे हैं। इनके संचालन से जुड़े गौठान समितियों और महिला स्वसहायता समूहों से वे व्यावहारिक जानकारी भी प्राप्त कर रहे हैं। अध्ययन भ्रमण के लिए कांकेर, सुकमा, बीजापुर, बस्तर, कोण्डागांव, दंतेवाड़ा और नारायणपुर जिले के गौठान समितियों और स्वसहायता समूहों के 25-25 सदस्यों को बुलाया जा रहा है।

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