रायपुर। फाइनेंसर्स पीड़ित संघ ने दुर्ग जिले के पाटन के एक ही परिवार के पांच सदस्यों की आत्महत्या के मामले में सरकार और प्रशासन की निंदा की है। इसे अमानवीय और प्रशासनिक लापरवाही का नतीजा बताया है। आंदोलन के सह संयोजक उमेश शर्मा ने कहा कि मुख्यमंत्री के क्षेत्र में इस प्रकार से घटना होना बहुत दर्दनाक है।
छत्तीसगढ़ के अधिकांश मजदूर किसान की स्थिति इस घटना से उजागर हो जाती है। आंदोलन के सूत्रधार और संचालक अधिवक्ता सतीश कुमार त्रिपाठी ने कहा है कि मुख्यमंत्री के क्षेत्र में हुई इस घटना में पैसे के लेनदेन का ही मामला है। परिवार ने जमीन बेच बेच कर ऋण की राशि चुकाने का प्रयास किया। जमीन बिकती गई पर उधार चुकता नहीं हो पाया।
लगभग परिवार की सारी संपत्ति बिक जाने के बाद भी उधार की आधी रकम नहीं जमा हो सकी। ऐसे मामलों में आज पुलिस प्रशासन हाथ पाव मारता दिख रहा है। जबकि इससे पहले भी इस तरह के मामले में पुलिस प्रशासन ने कभी सुध लेने का प्रयास नहीं किया। पुलिस प्रशासन का रवैया बड़ी-बड़ी कंपनियों, बड़े बड़े सूदखोरों, रसूखदारों और फाइनेंसर माफियाओं के साथ सहयोगात्मक है।
अब तो यह आम धारणा बन चली है कि कंपनियां और रसूखदार बकायदा थानों में अपने पैसे वसूली के मामले में निश्चित रकम पहुंचा देते हैं। हाल ही में पाटन के खुड़मुड़ा में चार लोगों की मौत हुई थी और इस मामले का संज्ञान लेते हुए स्वयं डीजीपी पहुंचे थे। पांच–पांच थाना इंचार्ज इसकी जांच कर रहे हैं। लेकिन आज तक हत्याओं का सुराग नहीं लगा।
वर्तमान घटना में पीड़ित ने स्वयं लिख दिया है कि ऋण के कारण परेशान होकर ऐसी परिस्थिति बनी की आत्महत्या करना पड़ा। यह घटनाएं पुलिस प्रशासन की अक्षमता को सिद्ध करती है। साथ में सरकार की प्रशासन पर कमजोर पकड़ के साथ-साथ अवैध तौर-तरीकों के कारोबार को संरक्षण प्रदान करने वाला दिख रहा है।
अवैध फाइनेंस का कारोबार नेटवर्किंग कंपनी के मामलों से लेकर फाइनेंस कंपनियों के द्वारा और निजी रूप से इस प्रकार फैलता जा रहा है कि आत्महत्याएं अब छत्तीसगढ़ में आम बात हो गई है। लगातार अवैध कारोबार हजारों करोड़ रुपयों के रूप में फैलता जा रहा है। सरकार संज्ञान नहीं ले रही है।
फाइनेंसर्स पीड़ित संघ की रविवार को साप्ताहिक बैठक संपन्न हुई। जिसमें आंदोलन की आगे की रणनीति पर चर्चा हुई और आत्महत्या करने वालों को श्रद्धांजलि दी गई। श्रद्धांजलि देने वालों में अश्वनी साहू, दीपक चनपुरिया, राघवेंद्र प्रसाद पाठक, धनेंद्र साहू, संतोष विश्वकर्मा, अखिलेश श्रीवास्तव, रामचरण साहू, प्रभु नाथ मिश्र, चंदन साहू, आरके भल्ला, दलजीत सिंह, अमरिंदर सिंह, सुंदर लाल साहू, शशांक बढ़गईया, आरपी मिश्रा, संतोष मिश्रा, रमेश चांडक आदि कई लोग उपस्थित थे।