छत्तीसगढ़

बातों-बातों में, यहां आइए आदर्श गौठान देखने

बिलासपुर। ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत बनाने के उद्देश्य से शुरू की गई गौठान योजना के नतीजे कुछ स्थानों पर नजर आने लगे हैं। प्रदेश के कुछ चुनिंदा गौठान अब माडल बन गए हैं। इनमें से ही हमारा एक सेलर भी है। यहां न केवल मवेशियों को रखा जा रहा है बल्कि वर्मी कंपोस्ट, दीया, कंडे समेत कई नवाचार किए जा रहे हैं। बगैर किसी सरकारी मदद के यहां बेहतर प्रबंधन किया गया है। चारों तरफ से रंग-बिरंगे आकर्षक दिखने वाले इस गौठान को मुख्यमंत्री भी देखने पहुंचे थे। अपने सपने को यहां मूर्तरूप होते देख वे अपनी भावनाएं रोक नहीं पाए। इसके कर्ताधर्ताओं की उन्होंने खूब पीठ थपथपाई। थोड़े ईमानदार प्रयास से सरकारी योजना कैसे रंग लाती है इसकी झलक देखना है तो सेलर जाइए। यहां राज्यभर से न केवल सरकारी नुमाइंदे बल्कि अन्य गौठान के संचालक भी पहुंच रहे हैं। मुख्यमंत्री भी लोगों को यहां जाने की सलाह दे रहे हैं।

आस्था पर फर्जीवाड़ा की चोट

घर से निकलने से पहले हर एक शख्स यही सोचता है कि आज का दिन अच्छा गुजरे और सब काम समय पर हो जाए। मतलब शांति से काम निपट जाए और घर वापसी हो जाए। यही सोच नौकरी पेशा से लेकर व्यवसायी और आम लोगों की भी रहती है। सोच में डूबे जब व्यक्ति अपने गंतव्य की ओर बढ़ता है और आंखों के सामने मंदिर या देवालय नजर आता है तो झट सिर श्रद्धा से झूक जाता है। समय रहता है तो मंदिर के भीतर पहुंचकर पूजा अर्चना और दान पेटी में अपनी तरफ से कुछ चढ़ावा वह भी मनौती के साथ। पर यह क्या। मंदिर मंे श्रद्धा के साथ चढ़ाए गए चढ़ावे पर फर्जीवाड़ा करने वालों की नजर लग गई है। रतनपुर महामाया मंदिर के बैंक खाते से क्लोन चेक के जरिए 27 लाख स्र्पये का वारा-न्यारा कर दिया है। बैंक की कार्यप्रणाली पर भी उंगली उठने लगी है।

एक बार फिर ऊंची छलांग

देश के नक्शे पर छत्तीसगढ़ ने अपना नाम दर्ज करा दिया है। यह है मनरेगा। काम के दम पर हमारा प्रदेश एक बार फिर देश के नक्शे पर छा गया है। केंद्र सरकार की महत्वाकांक्षी योजना के क्रियान्वयन करना कोई छत्तीसगढ़ से सीखे। काम ऐसा कि नाम चलने लगा। यह कोई इत्तेफाक नहीं है और ना ही तुक्का। इसके पहले प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना में हमने बाजी मारी थी। छत्तीसगढ़ को देशभर में नाम दिलाने में जिले के क्षत्रपांे ने भी जमकर काम किया है। इसमें हमारा जिला तो सबसे टाप पर रहा। लाकडाउन के दौर में जब चारांे तरफ हाहाकार मचा हुआ था। लोगों के पास काम नहीं था। उस दौर में जिला प्रशासन ने गांव-गांव में मनरेगा के तहत काम शुरू कराया। काम के बदले लोगों को रोजगार मिला और जिले को देश में नाम। संयोग देखिए पीएम किसान और मनरेगा दोनों में हम टाप पर रहे।

कोरोना की भेंट चढ़ेगी होली

देश में कोरोना की दूसरी लहर तेजी के साथ फैलने लगी है। एक साल पहले जैसे हालात बनने शुरू हुए थे ठीक वैसे ही फिर बनते दिखाई दे रहा है। बीते साल 22 मार्च को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देशवासियों से जनता कर्फ्यू का आह्वान किया था। इसके ठीक दूसरे दिन से देश में लाकडाउन की घोषणा हो गई थी। तब होली का त्योहार पहले पड़ गया था। लाकडाउन के बाद लोग घरों से तो निकले थे पर डरे सहमे। इस बार ठीक इसके उल्टा हो रहा है। पूरे देश भर में कोरोना की लहर तेजी के साथ फैल रही है। होली त्योहार में अभी भी विलंब है। पता नहीं आगे क्या होगा। कोरोना वायरस को रोकने मध्य प्रदेश के बड़े शहरों में नाइट कर्फ्यू लगा दिया गया है। महाराष्ट्र के कुछ जिलों में भी हालात बेकाबू होने लगा है। इस बार होली कोरोना की भेंट तो नहीं चढ़ जाएगी।

Patrika Look

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