बिलासपुर। बिहार सरकार की शराबबंदी की घोषणा के बाद से एकाएक छत्तीसगढ़ के महुआ बाजार में उछाल आ गया। आलम यह है कि बीते दो साल में एक लाख 75 हजार क्विंटल महुआ की खरीदी बिहार के स्टाकिस्टों ने की थी। इस वर्ष दो लाख 25 हजार क्विंटल की मांग अभी से आ गई है। पिछले सीजन में स्टाक खत्म होने के समय महुआ प्रति क्विंटल 6400 स्र्पये में बिका था।
इस वर्ष नई फसल की शुरुआत के साथ ही दाम और मांग दोनों में भारी बढ़ोतरी देखी जा रही है। नई फसल में ही प्रति क्विंटल 4400 से 4500 स्र्पये की मांग खुली हुई है। स्टाकिस्टों का कहना है कि छत्तीसगढ़ के लिए बिहार सबसे बड़ा बाजार है। शराब बनाने में इसका उपयोग किया जा रहा है।
बिहार में मांग होने के कारण खुदरा व्यापारी के साथ ही स्टाकिस्ट भी सक्रिय हो गए हैं। संग्राहकों से सीधे संपर्क कर ज्यादा से ज्यादा महुआ इकठ्ठा करने को कह रहे हैं। नई फसल आनी शुरू हो गई है। नई फसल की शुस्र्आत के साथ ही दाम भी बीते वर्ष की तुलना में 200 से 300 स्र्पये क्विंटल ज्यादा है। बीते वर्ष शुस्र्आत में 4200 से 4300 स्र्पये पर भाव खुला था।
पीले रंग के महुआ की ज्यादा मांग
स्टाकिस्टों के बीच पीला रंग लिए सूखा महुआ की मांग ज्यादा है। इसकी कीमत प्रति क्विंटल 200 से 300 स्र्पये ज्यादा है। इसका दाम प्रति क्विंटल 4800 स्र्पये के बीच खुला है। छत्तीसगढ़ में गरियाबंद और छूरा के अलावा सरगुजा और जशपुर के जंगली इलाकों में इसकी बहुतायत है। व्यापारियों का कहना है कि इस वर्ष मौसम अनुकूल होने के कारण उत्पादन भी ज्यादा होगा।
बिहार में शराबबंदी के बाद बीते तीन वर्षों से महुआ की मांग कुछ ज्यादा है। स्टाकिस्ट अभी से संपर्क कर एडवांस आर्डर दे रहे हैं। नई फसल की शुस्र्आत हो गई है। बीते वर्ष की तुलना में दाम भी इस बार अधिक खुला है।