भागलपुर में पहली बार हो रही सेहत के लिए फायदेमंद काले गेहूं की खेती, जानें इसकीऔर भी खासियत
भागलपुर। भागलपुर के लोग भी अब काला गेहूं का स्वाद चख पायेंगे। पहली बार यहां के किसान काला गेहूं की खेती कर रहे हैं। यह फसल लगभग 150 दिनों में तैयार हो जायेगा। आत्मा की ओर से काला गेहूं की जैविक खेती का निबंधन राज्य सरकार से कराया गया है। कहलगांव, शाहकुंड, गोराडीह आदि प्रखंडों के आधा दर्जन से अधिक किसान पहली बार इसकी खेती कर रहे हैं।
कहलगांव प्रखंड के प्रशस्तडीह पंचायत के सिमरो गांव के किसान कृष्णानंद सिंह ने बताया कि वह एक एकड़ में काला गेहूं की खेती कर रहे हैं। राजकोट से 50 किलो बीज मंगवाया गया था। बीज का दाम 150 रुपये किलो था। 22 नवंबर में खेत में बीज बोया गया था। अभी बीज पौधा का आकार ले चुका है। जो 140 से 150 दिनों में फसल के रूप में तैयार हो जायेगा। साधारण गेहूं की तुलना में इसका बीज लंबा व पतला होता है।
महंगा मिलता है काला गेहूं का आटा
एक एकड़ में खेती कर रहे गोराडीह प्रखंड के घिया गांव के किसान ऋषिकेश ने बताया कि बाजार में काला गेहूं का आटा काफी कम मिलता है। इस कारण इसकी कीमत एक सौ रुपये के आसपास है। अगर भागलपुर में काला गेहूं की अच्छी पैदावार हुई तो इसकी कीमत भी कम होगी। उन्होंने बताया कि इस गेहूं के आटे में जीरो प्रतिशत शुगर होता है। इसीलिए शुगर पीड़ितों के लिए यह आटा लाभदायक है।
काला गेहूं की खेती को किया जा रहा प्रोत्साहित
आत्मा के उप परियोजना निदेशक प्रभात कुमार सिंह ने बताया कि भागलपुर में पहली बार ट्रायल के तौर पर कुछ किसानों ने इसकी खेती की है। किसान कृष्णानंद सिंह व रिंकू द्वारा की जा रही जैविक खेती को सरकार की ओर से निबंधन भी कराया गया है। उन्होंने बताया कि काला गेहूं की मांग देश-विदेशों में काफी है। यहां के किसानों को आत्मा के लिए इसकी खेती करने के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है।
काला गेहूं स्वास्थ्य के लिए लाभदायक
बिहार कृषि विश्वविद्यालय, सबौर के पौधा प्रजनन विभाग के सहायक प्राध्यापक डॉ. चंदन राय ने बताया कि काला गेहूं में एंथोसाएनिन नाम के पिगमेंट होते हैं। एंथोसाएनिन की अधिकता से इसका रंग काला काला हो जाता है। एंथोसाएनिन नेचुरल एंटीऑक्सीडेंट भी है। इसी वजह से यह सेहत के लिए फायदेमंद माना जाता है। उन्होंने बताया कि काला गेहूं की खेती के लिए अब किसान जागरूक हो रहे हैं। इस कारण उम्मीद है कि भविष्य में कई किसान इसकी खेती कर सकते हैं। यहां की मिट्टी भी इसकी खेती में लाभदायक होगा। उन्होंने बताया कि काला गेहूं के बारे में ज्यादा जानकारी नहीं होने के कारण ही भागलपुर में इसकी खेती कम की जा रही है।