विश्व क्षय दिवस के अवसर पर स्वास्थ्य विभाग ने टीबी के क्लोगन युक्त संकाय का किया वितरण
कोंडागांव। कोरोनावायरस के मद्देनजर दोना से रोकथाम व बचाव के उपायों का पालन करते हुए विश्व क्षय दिवस के अवसर पर बुधवार को स्वास्थ्य विभाग ने कोंडागांव में टी.बी. मुक्ति के श्लोगन छपे हुए संकाय का वितरण किया गया।जिसे जन सामान्य, ट्रैफिक पुलिस, बस – आटो सेवा स्वास्थ्य कार्यकर्ता और अन्य सहयोग कर्मियों को प्रदान किया गया।
और राष्ट्रीय स्तर पर ऑफ़लाइन प्रश्नोत्तरी आयोजित किया गया। जिसमें प्रतिभागी के तौर पर कोंडाटन जिले के कम्युनिटि हेल्थ आफिसरो ने भाग लिया। टी। बी। प्रचार प्रसार वाहन के माध्यम से ” टी.बी. हारेगा देश विनगा ” और टी.बी. मुक्ति की ओर से छ.ग. के संदेश जन सामान्य तक कामया। टी.बी. एक गंभीर संक्रामक रोग है इस रोग के उन्नयनमूलन हेतु शासन स्तर पर राष्ट्रीय टी.बी. उन्नतिकरण कार्यक्रम चलाया जा रहा है। जिसके तहत वर्ष 2025 तक टी.बी. मुक्त देश करने का अभियान चल रहा है और प्रदेश सरकार वर्ष 2023 तक टी.बी. मुक्त छ.ग. करने का अभियान चल रहा है। जिला में वर्ष 2020 में कुल 591 टी.बी. मरीज थे जिसमें 08 ड्रग रसिस्त्रेंट टी.बी. के मरीज है, तथा वर्ष 2021 में माह फरवरी तक कुल 92 मरीजों का उपचार किया जा रहा है वर्ष 2020 में 12 मरीजों की मृत्यु टी.बी. हुई है तथा वर्ष 2021 में माह फरवरी तक 01 मरीज की मृत्यु टी.बी. से हुई है। टी.बी. तथा ड्रग रसिस्त्रेंट टी.बी. की जाँच एवं उपचार हेतु जिला चिकित्सालय परिसर में जिला क्षय नियंत्रण केन्द्र तथा सीबीनेट लैब का संचालन किया जा रहा है। सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्रों में टी.बी. युनिट संचालित किया जा रहा है, जिले में कुल 24 माइक्रोस्कोपिक केन्द्रों में टी.बी. का जाँच किया जा रहा हैं। जिले में संचालित समस्त प्राइवेट नर्सिंग होम/क्लीनिकों को टी.बी. कार्यक्रम के तहत सम्मिलित किया जा चुका है, जिले में संचालित समस्त मेडिकल स्टोरों से टी.बी. दवा संबंधित जानकारी प्रतिमाह लिया जाता है जिला क्षय कार्यक्रम अंतर्गत कोंडागाँव जिले में कुल 10 कम्युनिटि वालेन्टियर कार्यरत है जो कि टी.बी. के संभावित मरीजों का बलगम सेम्पल संग्रहित कर टी.बी. जाँच हेतु सीबीनेट लैब तक पहुँचाने का कार्य करते है प्रत्येक ब्लाक में 02 टी.बी. से निताल पाटेड रोगियों को टी.बी. मितान मनोनित किया गया है जिसे टी.बी बीमारी की जाँच उपचार के संबंध में पूर्ण पाठ्यक्रम किया गया है, टी.बी. मितान अपने क्षेत्र के हाट बाजार, पारा-मोहल्ला में संभावित टी.बी. मरीजों की खोज करते हैं और उपचाररत टी.बी. मरीजों को टी.बी. का पूरा कोर्स लेने और उपचार के दौरान आने वाली कठनाईयों के बारे में परामर्श देना है। आमतौर पर पहली बार टी.बी. होने पर टी.बी. का उपचार छह: महीने का होता है किंतु ड्रग रसिस्त्रेंट टी.बी., एकस्ट्रा पल्मोनरी टी.बी. के रोगियों में उपचार नौ महीने से लेकर चौबीस महीने तक हो सकता है। टी। बी। के उपचार में डाट्स पद्धति का उपयोग किया जाता है जिसमें डाट्स प्रोवाइडर की सीधी देखरेख में रोगी के दवा का सेवन किया जाता है। जिला क्षय नियंत्रण समिति से मिली जानकारी के अनुसार शासन द्वारा निर्धारित मानदेय का भुगतान टी.बी. मरीजों और डाट्स प्रोवाइडरों के खातों में आनलाइन माध्यम से किया जाता है। जिसके तहत टी.बी. मरीज को। 500 / – मासिक पोषण आहार के लिए और रूट। 750 / – टी.बी. उपचार पूर्ण करने पर प्रदाय किया जाता है और डाट्स प्रोवाइडर को टी.बी. रोगी के पूर्ण उपचार के लिए मानदेय रू। 1000 / – & डाट्स प्रोवाइडर को ड्रग रसिस्थेंट टी.बी रोगी के पूर्ण उपचार के लिए रु। 5000 / – का मानदेय प्रदाय किया जाता है और जनमानस द्वारा यदि किसी टी.बी. के संभावित रोगी को जाँच के लिए निकटतम टी.बी. जाँच केन्द्र लाया जाता है और उस संभावित रोगी का टी.बी. जाँच रिपोर्ट यदि पजितिव आती है तो ऐसी दशा में संभावित रोगी को लाने वाले व्यक्ति को रू। 500 / – का मानदेय प्रदाय किए जाने का भी प्रावधान है।