छत्तीसगढ़

सूर्यवंशी समाज में प्रचलन में है मौखिक तलाक, महिला को भरण पोषण देने हाई कोर्ट का आदेश

बिलासपुर। हाई कोर्ट ने अपने महत्वपूर्ण फैसले में कुटुंब न्यायालय के उस आदेश को निरस्त कर दिया है, जिसमें कुटुंब न्यायालय ने ब्याहता महिला के भरण पोषण आवेदन संबंधी प्रकरण को खारिज कर दिया था। कोर्ट ने याचिकाकर्ता महिला को भरण पोषण के लिए हकादार माना है।

बिलासपुर जिले के मस्तूरी क्षेत्र निवासी तेरस बाई डोंगरे को उसके पति ने छोड़ दिया है। इसके चलते महिला अपने पति से अलग रहती है और रोजी-मजदूरी करने के लिए मजबूर है। महिला ने अपने व बच्चों का जीवन गुजारा करने के लिए कुटुंब न्यायालय में भरण पोषण के लिए आवेदन प्रस्तुत की थी। इस पर प्रतिवादी पक्ष ने बताया कि महिला ने अपने पति से विधिक रूप से तलाक नहीं लिया है।

इसके चलते उसे भरण पोषण पाने के लिए हकदार नहीं माना जा सकता। इस पर न्यायालय ने प्रकरण को यह कहते हुए खारिज कर दिया कि महिला ने अपने पूर्व पति से न्यायालय द्वारा विधिवत तलाक नहीं लिया है। इसलिए वह भरण पोषण पाने की हकदार नहीं है। कुटुंब न्यायालय के इस आदेश के खिलाफ महिला ने अपने वकील सुनील कुमार सोनी के माध्यम से हाई कोर्ट में क्रिमिनल रिवीजन प्रस्तुत किया। इसमें बताया कि आवेदक महिला सूर्यवंशी जाति से है और उनकी जाति में छोड़-छुट्टी परंपरा से भी मौखिक तलाक प्रचलन में है।

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