छत्तीसगढ़

पुलिस कर रही बस्तर संभाग में आदिवासियों की हत्या नक्सली उन्मूलन के आड़ में-अध्यक्ष, सचिव सर्व आदिवासी समाज

कोंडागांव । सर्व आदिवासी समाज जिला कोण्डागांव के अध्यक्ष बंगाराम सोड़ी एवं सचिव जीवनलाल नाग ने संयुक्त रुप से प्रेस विज्ञप्ति जारी कर आरोप लगाया है कि बस्तर संभाग में नक्सली उन्मूलन की आड़ में निर्दोष आदिवासियों की हत्या कर रही है पुलिस। सर्व आदिवासी समाज जिला कोण्डागांव के अध्यक्ष बंगाराम सोड़ी तथा सचिव जीवनलाल नाग सर्व आदिवासी समाज सामान्य प्रभाग जिला कोण्डागांव द्वारा उक्त आरोप बीजापुर जिले केे सिलगेर में हुई घटना को लेकर लगाते हुए कहा गया है कि आदिवासी इलाकों में प्राकृतिक संसाधनों की लूट तेजी से हो रही है, क्योंकि इन आदिवासी क्षेत्रों में अनेक प्रकार के खनिज संपदा की मात्रा अधिक होने से आदिवासी क्षेत्रों में सरकार और प्रशासन ने फर्जी ग्राम सभा के माध्यम से आदिवासियों पर बंदूकधारी खड़ाकर जल, जंगल, जमीन को लूटने का कार्य करा रही है। आदिवासियों को जंगल में देखकर पुलिस एनकाउंटर कर प्रमोशन पाने का काम कर रही है और आए दिन लगातार फर्जी मुठभेड, फर्जी समर्पण का हवाला देकर पुलिस आदिवासियों की हत्या कर रही है, जब आदिवासी समाज द्वारा सिलगेर घटना की जानकारी लेने हेतु जाने का प्रयास किया गया तो आदिवासी समाज के प्रतिनिधियों को पुलिस के द्वारा घटना स्थल जाने से रोका गया। न्यायिक जांच रिपोर्ट नहीं दिया गया। शासन-प्रशासन के ऐसे कृत्य का सर्व आदिवासी समाज घोर निंदा करते हुए शासन-प्रशासन से निष्पक्ष न्यायिक जांच की मांग करता है। चाहे वह टैकलगुड़ा की घटना हो या सिलगेर की हो, क्योंकि दोनों ओर से वह चाहे पुलिस हो या नक्सली हो, आदिवासी ही मारे जाते हैं। बीजापुर जिले की सिलेगर में शहीद आदिवासियों के परिजनों को शासन की ओर से ’35- 35 लाख और घायलों को रु.10-10 लाख रुपये के साथ में शहीद परिवारों को सरकारी नौकरी देने की मांग सर्व आदिवासी समाज करता है।

जीवनलाल नाग

उक्त घटना को लेकर पूरे बस्तर संभाग, राज्य व देश के आदिवासी समाज में भारी आक्रोश है। क्षेत्र के जनप्रतिनिधियों द्वारा शासन-प्रशासन से घटना को लेकर चर्चा करनी चाहिए और बस्तर संभाग में 5 अनुसूची एवं पेशा कानून लागू है। अनुच्छेद 13/3क/244 को दरकिनार कर थानाशाह नीति चलाए जा रहे हैं, जबकि बस्तर संभाग में ग्राम सभा सहमति बगैर कोई आधार स्थापित करने का अधिकार नहीं है। जिन जनप्रतिनिधियों को बस्तर में शांति सुशासन एवं जानमाल की सुरक्षा सामुदायिक विकास के लिए क्षेत्र की जनता ने वोट देकर जनप्रतिनिधि बनाया है, वे जनप्रतिनिधि इस घटना पर चुप्पी साधे हुए हैं, बीजापुर जिले के सरहद सिलगेर में पुलिस कैंप खोले जाने का 3 दिन से विरोध कर रहे, हजारों ग्रामीणों के भीड़ पर अचानक गोली चलाए गये, आंसू गैस के गोले छोड़े गये तथा मारपीट किया गया, जिसमें 3 ग्रामीणों की मौत हो गई 30 ग्रामीण घायल हो गये। घायल हुए तथा मारे गए ग्रामीणों को पुलिस के द्वारा नक्सली बताया गया और ग्रामीणों के विरोध को माओवादी का दबाव बताया गया। ऐसा पहली बार नहीं हुआ है, बल्कि जब से बस्तर संभाग में नक्सली उन्मूलन की शुरुआत हुई है तब से आदिवासियों को परेशान किया जा रहा है, जो भी आदिवासी ऐसे मामलों की जांच कराने की मांग करता है, तो उसको ही मारने या नक्सली प्रकरण में फंसाने का काम पुलिस करती है। इसलिए उक्त तरह के सभी कृत्यों जैसी घटनाओं का सर्व आदिवासी समाज जिला कोण्डागांव घोर निंदा करता है और निश्पक्ष न्यायिक जांच की मांग करता है।

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